कमेंट- काउंटर कमेंट प्रथा जिस उद्देश्य से रचना की गयी थी, वह उद्देश्य पूर्ण होता दिखाई दे रहा है, अद्भुत परिणाम दिखा रहा है। अधिक से अधिक परिजन एक दूसरे से परिचित हो रहे हैं, संपर्क बना रहे हैं, परस्पर सहायता कर रहे हैं। सबसे बड़ा परिणाम जो उभर कर सामने आ रहा है वह है अपने परिजनों की प्रतिभा। सभी परिजन अपनी प्रतिभा प्रकाशित करने, शेयर करने को प्रोत्साहित हो रहे हैं। सभी को पता है कि न तो गोल्ड मैडल लेने से कोई आर्थिक लाभ होने वाला है, और न ही अपनी प्रतिभा प्रकाशित करके कुछ मिलने वाला है लेकिन जो आत्मिक शांति ऑनलाइन ज्ञानरथ में अपनी भागीदारी दर्ज करके मिल रही है उसकी किसी भी सम्पदा से तुलना नहीं की जा सकती। ऑनलाइन ज्ञानरथ के माध्यम से किया गया समयदान, श्रमदान, ज्ञानदान कई परिवारों को मार्गदर्शन देकर, प्रेरित करके सुख शांति प्रदान कर चुका है। और जिसके जीवन में सच्चा आंतरिक और आत्मिक सुख है उसे किस बात की कमी है।
आरम्भ करने से पहले बताना चाहते हैं कि कल रविवार को अवकाश होगा, सभी इतनी अधिक श्रद्धा और परिश्रम से काम कर रहे हैं तो सप्ताह में एक दिन अवकाश तो होना ही चाहिए। सोमवार को संध्या कुमार बहिन जी की एक नवीन लेख शृंखला आरम्भ कर रहे हैं, यह श्रृंखला भी अवश्य ही बहुत रोचक होने वाली है।
तो आइये देखते हैं हमारे सहकर्मी क्या कह रहे हैं:

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श्रीमती कमोदिनी गौरहा भामाशाह सम्मान से सम्मानित :
छतीस गढ़ बिलासपुर जिला रतनपुर निवासी श्रीमती कमोदिनी गौरहा बचपन से ही परमपूज्य गुरुदेव गुरुदेव से जुड़ी हैं। कमोदिनी बहिन जी के पिताजी श्री राजाराम दुबे मिशन के कर्मठ कार्यकर्ता थे। गुरूदेव की शिष्य होने के नाते बहिन जी को सदैव देश,धर्म के लिए कुछ न कुछ अच्छा करने की ललक रहती है। यही कारण है कि जब भी कभी मौका मिलता वह गिलहरी की भूमिका निभाने में जुट जाती हैं ।
बहिन जी बताती हैं कि यह भी गुरुदेव की ही कोई कृपा होगी जो चार साल पहले उन्हें पता चला कि उदयपुर राजस्थान में नारायण सेवा संस्थान है। इस संस्थान के संस्थापक आदरणीय कैलाश मानव अग्रवाल जी गुरुदेव की प्रेरणा से दिव्यांगों की सेवा तन,मन,धन से कर रहे हैं। अग्रवाल जी का पूरा परिवार इस साधना में दिन रात जुटा रहता है। बस फिर क्या था, बहिन जी को प्रेरणा मिली और वह भी गुरुदेव का कार्य समझ कर अपनी छोटी सी सेवा समर्पित करने लगी। यह उस सेवा का ही परिणाम है कि उन्हें भामाशाह सम्मान से सम्मानित किया गया है। ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार का प्रत्येक सदस्य बहिन कमोदिनी जी को अपनी बधाई देता है और कामना करता है कि बहिन जी प्रतिभा की इन सीढ़ियों पर ऊपर ही ऊपर चढ़ती जाएँ।
नारायण सेवा संस्थान की प्रसिद्धि किसी से भी छिपी नहीं है, हमारे पाठक गूगल सर्च करके इस पुनीत संस्थान के बारे में और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन जिस बात ने हमारा मन मोह लिया वह एक मुट्ठी अनाज वाला कांसेप्ट। परमपूज्य गुरुदेव ने भी इसी कांसेप्ट की बात की है।
बहिन जी लिखती हैं :गुरुदेव सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें और सत्य मार्ग पर चलाते रहें। ऑनलाइन ज्ञान रथ के सभी परिजनों से हाथ जोड़कर विनती है कि सभी अपना आशीर्वाद बनाए रखियेगा। आप लोगों का प्यार और आशीर्वाद से सत्कार्य करने की अपार प्रेरणा मिलती है भाई साहब आप लोगों के आशीर्वाद और गुरुदेव की कृपा से मुझे भामाशाह सम्मान से सम्मानित किया गया। सदा ही अपनी आशीर्वाद बनाए रखियेगा।
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रजत भाई साहिब का शांतिकुंज प्रवास:
भाई साहब प्रणाम ।जय महाकाल महाशक्ति । रजत भाई साहिब ने अपने शांतिकुंज प्रवास के दौरान कुछ अनुभव लिखे हैं। भाई साहिब लिखते हैं : शांतिकुंज ने अब क्रांतिकुंज का रूप ले लिया है। बहुत दिनोंके बाद खुलने के कारण शांतिकुंज में अभी भीड़ बढ़ रही है जो कि जून महीने तक चलेगी। नौ दिवसीय संजीवनी सत्र पूर्ववत चल रहे हैं। शिविर विभाग से अनुमति प्राप्त करने के उपरांत ही भाग लिया जा सकता है ।आनलाईन सुविधा तो है ही । डॉ गायत्री शर्मा के “आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी” प्रोग्राम ने आंदोलन का रूप ले लिया है जिसे शांतिकुंजके सप्त आंदोलन के बाद आठवां आंदोलन कहा जाता है। वैज्ञानिक सोच-तथ्य-्व्यव्हार के साथ गर्भावस्था से ही बच्चे को संस्कार मिले तो कितना उच्च कार्य हो सकता है। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के साथ कन्या-किशोर कौशल शिविर चलना है। अब युवा जागरण पर जोर दिया जा रहा है । युवा आगे आएं, अपनी प्रतिभा ,अपने व्यक्तित्व, पुरुषार्थ निखार – समाज राष्ट्र हित काम में आएं। समयदानी, अंशदानी बढ़ चढ़ कर निकलें ताकि 2026 परम वंदनीय माताजी की जन्म शताव्दी तक लक्ष्य हासिल किया जा सके ।
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सुमन लता बहिन जी का शांतिकुंज प्रवास :
अब हम दिल्ली लौट आए हैं।असल में मेरे बेटे का जन्मदिन था।मैंने गुरुदेव के एक विडिओ में सुना था कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना और अपने परिवार के सदस्यों का जन्म दिन अवश्य मनाना चाहिए।और यदि हो सके तो शांतिकुंज आएं ।पिछले साल जब हम देहरादून में थे तब हमें लगा कि गुरुदेव का आशीर्वाद दिलाने शांतिकुंज जाना चाहिए।तब हम वहां गए थे.। इसीलिए इस वर्ष भी हमने यही किया, और दो दिन का ही प्रोग्राम था।
हम आज सुबह 7 बजे शांतिकुंज पहुंचे थे। प्रवेश पत्र लेने में थोड़ा विलंब हो गया, तो हवन प्रारंभ हो गया था, तो हमने यज्ञशाला के बाहर गुरुदेव,माता जी की समाधि के पास से और श्रद्धालुओं के साथ बैठकर ही यज्ञ की पूरी विधि को देखा। उसके पश्चात हमने गायत्री माता मंदिर के दर्शन किए, अखण्ड ज्योति के दर्शन के बाद शैल जीजी से बेटे को आशीर्वाद दिलाया।लौटते समय गुरुदेव द्वारा लिखा गीता का भाष्य लिया, कुछ पूजा की वस्तुएं क्रय की।और वापसी की। शांतिकुंज में बहुत सारे श्रद्धालु आए हुए थे , तो काफी भीड़ भी दिखाई दी। हो सकता है नवरात्र की साधना के लिए साधक भी आए हुए हों।
आज के लेख में आपने बहुत सही लिखा है ,विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है जिसका खामियाजा हम सबको भुगतना पड़ रहा है।मैंने आप सबको बताया था कि कनखल में शिवलिंग का आकार छोटा होता जा रहा है।आज हमने देखा कि शिवलिंग बिल्कुल ही जमीन के लगभग बराबर ही हो गया है। यह देख कर दिल रो दिया।बहुत कष्ट हुआ।धरती माता ही नहीं भगवान भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।वहां रुका नहीं जा सका तो हम वहां से चले आए। *********************
ज्योति गाँधी बहिन का समर्पण :
4 मार्च 2022 को राजकुमारी कौरव बहिन जी के रिफरेन्स पर हमने ज्योति गाँधी बहिन जी को ऑनलाइन ज्ञानरथ का welcome letter भेजा। उनका रिप्लाई आया – आप कौन,मैंने आपको पहचाना नहीं। हमने उन्हें राजकुमारी बहिन जी का chat record forward कर दिया। तब उन्हें याद आया और उन्होंने धन्यवाद् करते हुए पूछा आप कहाँ से हैं। इसके बाद कोई बात नहीं हुई। हम उन्हें लगातार ज्ञानप्रसाद भेजते रहे लेकिन कोई भी रिस्पांस ,जय गुरुदेव वगैरह नहीं आया। हमें शंका हुई कि शायद उन्हें हमारे लेख नहीं मिल रहे हों। 29 मार्च को हमने मैसेज किया कि आपको हमारे लेख मिल रहे हैं ? तो रिप्लाई आया -नहीं मिल रहे। इसके बाद संपर्क chain आरम्भ हो गयी और उन्होंने 3 अप्रैल को हो रही ऑनलाइन युग प्रवक्ता सृजन गोष्ठी का लिंक भेज दिया। इस बार इस गोष्ठी में मुंबई और रतलाम के परिजनों को ही शामिल किया गया है। यह गोष्ठी हर रविवार को होती है और कोई भी भाग ले सकता है। अगर कोई प्रवक्ता के रूप में बोलना चाहता है तो वह अपना नाम दे सकता है। ज़ूम की तरह यह गोष्ठी गूगल मीट के माध्यम से करवाई जाती है। यह सारी जानकारी ज्योति जी ने भेजी है जो हम आपके शेयर कर रहे हैं। अगर कोई भी सहकर्मी इसमें भाग लेने का इच्छुक हो ,य join करना चाहता हो तो उसे ज्योति जी का संपर्क साधन दिया जा सकता है। ज्योति बहिन इंदौर से हैं ,बाल संस्कार शाला चलाती हैं और मीटिंग में भी रहती हैं।
बहिन जी के बारे में सब कुछ विस्तार से लिखने का उद्देश्य केवल यही है कि अपने सहकर्मियों के बारे में हम जितना अधिक से अधिक जानेगें, दायरा उतना ही विस्तृत होता जायेगा ,अपनत्व और भी गहरा होता जायेगा, जो विस्फोटक क्रांति लाने में उतना ही सहायक होगा – यही तो है विचार क्रांति -युग निर्माण योजना – परमपूज्य गुरुदेव की युगशिल्पी टकसाल।
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एक और प्रतिभाशाली कवि, आदरणीय राम नारायण कौरव :
आदरणीय राम नारायण कौरव बहिन राज कुमारी कौरव के पति हैं। उन्होंने पहली ही बार पर्यावरण लेखों से प्रभावित होकर निम्नलिखित कुछ पंक्तियाँ लिखीं हैं :
भीषण गर्मी का अहसास
आज दोपहर में किया,भीषण गर्मी का अहसास,
सड़क मार्ग में गुजरा जब,पेड़ नहीं कोई पास।
तेवर तेज सूर्य के देखें,चुभन न आई रास,
जलवायु परिवर्तन के कड़वे फल ने किया निराश,
संसाधन का समुचित उपयोग करें ये मानव काश।
रामनारायण कौरव
करेली
गुरुदेव कहाँ कहाँ से प्रतिभाएं ढूंढ कर ला रहे हैं। धन्य हैं आप ,हमारे गुरुदेव
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सभी का अपनी contributions भेजने के लिए धन्यवाद्,जय गुरुदेव