“सप्ताह का एक दिन पूर्णतया अपने सहकर्मियों का” 12 मार्च ,2022
5 मार्च से आरम्भ किये गए इस नवीन प्रयास की दूसरी कड़ी आपके समक्ष प्रस्तुत है। इसमें आप अरुण वर्मा जी, बेटी उपासना भरद्वाज, विदुषी बंटा जी, निशा भारद्वाज जी, डा रजत कुमार षड़ंगी, प्रेमशीला मिश्रा जी और मृतुन्जय तिवारी जी के योगदान पर एक दृष्टि डालेंगें। अंत में 24 आहुति संकल्प सूची तो है ही।
वैसे तो आज का दिन अपने सहकर्मियों का ही है लेकिन आप सभी की आज्ञा से एक बात शेयर कर रहे हैं। आने वाले सप्ताह से आरम्भ करके, सप्ताह में एक दिन का ज्ञानप्रसाद केवल एक लघु ऑडियो/वीडियो अपलोड करने का सुझाव है। इसका एकमात्र कारण है कि हमारे पास बहुत सारी वीडियोस बनाने के लिए lineup हुई पड़ी हैं और हम चाहते हैं कि उन्हें भी साथ -साथ पूर्ण करते चलें। हम पूरी तरह विश्वास करते हैं कि हमारे समर्पित परिवारजन वीडियोस के लिए लेखों से भी बढ़कर उत्साह दिखाएंगें।
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अरुण वर्मा जी ने 7 मार्च के कमेंट में एक नई जानकारी शेयर की ।
बात बिलकुल सही है, विज्ञान तो बाद में आया है आध्यात्म तो हजारों सालों से लोगों को सही राह दिखाने का काम कर रहा है, आज विज्ञान के द्वारा आकाश में उड़ने वाले यंत्रों का आविष्कार किया गया, इससे हजारों साल पहले आध्यात्म के तपोबल से आकाश में चलते नजर आते थे, पुस्पकविमान के नाम से जाना जाता था, बिहार के पटना जिले में मसौढ़ी थाना में जहाँ पर आर्यभट ने बहुत पहले कह चुके थे कि यहाँ सोलर रिसर्च करने की बहुत ही बेहतरीन जगह है। करीब 10 साल पहले सूर्य ग्रहण लगा तो अमेरिका के वैज्ञानिकों ने उसी जगह पर जाकर अपना रिसर्च सेंटर बनाया, यह है आध्यात्म की ताकत, हमारे यहाँ के ऋषि मुनियों ने पहले ही सब कुछ बता दिया है जो आज वर्तमान में घटित हो रहा है, परम पूज्य गुरुदेव ने पहले ही कह दिया था कि ऐसा समय आएगा कि सारा विश्व दुष्प्रभावों से ग्रसित हो जाएगा। कुछ दिन पहले करोना काल से आदमी परेशान रहा और अब यूक्रेन और रूस के युद्ध ने लोगों को आर्थिक तंगी का कारण बन रहा है।
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उपासना बिटिया की कविता :
उपासना भरद्वाज जो साधना सिंह जी की बेटी हैं, उन्होंने निम्नलिखित अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर निम्नलिखित कविता लिखकर ऑनलाइन ज्ञानरथ का सम्मान बढ़ाया है। उपासना बेटी Math ग्रेजुएट हैं और एक NGO से जुड़कर बच्चों और महिलाओं के लिए कार्यरत हैं। इस पुण्य कार्य के साथ साथ बेटी UPSC की तैयारी भी कर रही है। साधना बहिन जी से पता चलने पर कि बेटी ऑनलाइन ज्ञानरथ में भी रूचि रखती है, हमें बहुत ही अच्छा लगा। आइये पढ़ें यह कविता :
सरस्वती का रूप हो तुम
लक्ष्मी का स्वरुप हो तुम
बढ़ जाये जब अत्याचारी
दुर्गा-काली का रूप हो तुम.
कभी कोमल फूल गुलाब सी
कभी शक्ति के अवतार सी
नारी तेरे रूप अनेक
तू ईश्वर के चमत्कार सी,
किन शब्दों में दूँ परिभाषा ?
नारी तुम हो सबकी आशा
साथियों आज हम इस आधुनिकता के युग में नारी शक्ति को भूलते जा रहे हैं,, जहाँ हमारे पूर्वज नारी शब्द को सम्मान देते थे आज वहीँ हम और आप उस सम्मान को भूलते जा रहे हैं। आज बड़े-बड़े मंचों पर माइक के सामने सब चिल्लाते हैं नारी *शशक्तिकरण* होना चाहिए लेकिन जैसे ही मंच से उतरे, सब भूल जाते हैं। साथियों बात करने से कुछ नही होता, जमीन पर कुछ करना पड़ता है। इन्ही शब्दों के साथ नारी शक्ति, मातृ शक्ति को कोटि कोटि प्रणाम।
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8 मार्च 2022 ज्ञानप्रसाद- “कब तक मृगतृष्णा में आत्मबल की आहुति चढ़ाते जायेंगें ?” का अमृतपान करने पर दो बहनों ने, विदुषी बांटा और निशा भरद्वाज, जो कमेंट किये उन्हें हमने 2 -3 बार पढ़ा। लेख का फिर से अध्यन किया लेकिन आज तक समझ पाना असम्भव लग रहा है कि दोनों बहिनें इतने मिलते जुलते कमेंट कैसे लिख सकती हैं। हमें तो यह मालूम ही नहीं कि पास- पास रहती हैं और मिलजुल कर लिख सकती हैं। लेकिन हमारा ह्रदय तो यही कह रहा है कि अंतरात्मा की आवाज़ है। आप ही कमेंट करके बता सकती हैं और इस जिज्ञासा का निवारण हो सकता है। दोनों के कमेंट नीचे लिख रहे हैं :
विदुषा बंटा :
आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है। जो ब्रह्माण्ड में है वहीहमारे शरीर मे है। छोटी से छोटी इकाई से मिल कर हमारे शरीर की रचना हुई है, जिसे हम अणु, परमाणु कहते हैं शरीर में अनंत कोशिकाये हैं हर कोशिका मे जीवद्रव्य होता है जिसे प्राण ऊर्जा भी कहते हैं। शारीरिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए भोजन की आवश्यकता होती है और उससे रक्त बनता है जो कि शिरा व धमनियो द्वारा पूरे शरीर में प्रवाहित होता है और हमें ऊर्जा या बल प्राप्त होता है। शरीर की दो अवस्थाये होती हैं 1. अधोगामी 2. उधर्वगामी
शरीर के अंदर सूक्ष्म से भी सूक्ष्मतर तंत्रिका तंत्र (Nervous System )होता है। विषय वासना, भोग आदि में लिप्त होकर ये तंत्र शिथिल हो जाता है और शरीर कमजोर, शिथिल, व बीमार पड़ जाता है। आत्मा पतित हो जाती है। ये अधोगामी अवस्था है। जबकि उधर्वगामी अवस्था में मनुष्य मन बुद्धि, शरीर से ऊपर उठकर, शरीर के अंदर एक आंतरिक सत्ता होती है जो कि बहुत प्रभाव शाली होती है जिसे आत्मा कहते हैं इसकी शक्ति अनंत गुना होती है जो कि योग साधना द्वारा मन, बुद्धि शरीर से ऊपर उठ कर उस चैतन्य सत्ता में अवस्थित हो जाती है अर्थात परमानंद को प्राप्त हो जाती है यही अतिन्द्रिय सुख कहलाता है। कहानी भी हमें यही शिक्षा देती है कि बाहरी सुदरता तो आकर्षण है आंतरिक सुंदरता या तृप्ति तो उस परम पिता परमात्मा की प्राप्ति है।
निशा भरद्वाज :
शक्ति और ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत ईश्वर है और ईश्वर को योग बल के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है हमारे शरीर की सबसे छोटी इकाई कोशिका है जो मिलकर अंगो का निर्माण करते हैं हर कोशिका के अंदर जीवन ( life ) होता है शरीर के पालन पोषण के लिए हमें भोजन की आवश्यकता पड़ती है इससे रक्त बनता है और हमें ऊर्जा मिलती है ये रक्त शिरा और धमनियों के द्वारा पूरे शरीर में प्रवाहित होता है जिससे एक तरल पदार्थ बनता है जिसे जीवद्रव्य ( protoplasm ) कहते हैं। ये शरीर के लिए बहुत ही अनिवार्य है, जीवद्रव्य की दो मुख्य अवस्थाएँ हैं ~ अधोगामी और उधर्वागमि। अधोगामी अवस्था में जीवद्रव्य व्यर्थ जाता है और शरीर कमजोर और बीमार पढ़ता है और आत्मा पतित होती है इसके विपरीत उधर्वागमि अवस्था में उसकी दिशा बदलनी पढ़ती है जो की बहुत ही कठिन कार्य है। इसके लिए हमें ध्यान की शक्ति योग की शक्ति और स्वाध्याय की शक्ति का सहारा लेना पढ़ता है। इससे आत्मिक सुख मिलता है और ईश्वर की प्राप्ति होती है।
10 March 2022 को प्रकाशित हुए हुए प्रभु वाले शुभरात्रि सन्देश में 90% परिजनों ने एक जैसी पंक्ति लिख कर कमेंट किया और यह पंक्ति थी – “पता नहीं कौन से रूप में भगवान मिल जाएँ।” क्या यह केवल संयोग ही है य फिर ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवारजनों के अंतर्मन की आवाज़।
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हमारे व्हाट्सप्प पर अतिसक्रीय सहकर्मी प्रेमशीला मिश्रा बहिन जी ने बताया कि 8 मार्च 2022 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रज्ञा मंडल, मानस एनक्लेव इंदिरा नगर लखनऊ में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम आदरणीय पूनम दीदी एवं डॉक्टर के सी शर्मा जी के आवास पर परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी के सूक्ष्म संरक्षण में गुरु वंदना, एवं मातृ वंदना से प्रारंभ हुआ, तत्पश्चात कई महिलाओं ने महिला विकास, समाज उत्थान तथा युग निर्माण में नारियों के उत्तरदायित्व, उनकी सहभागिता पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का समापन दीप यज्ञ, शांति पाठ के साथ प्रसाद वितरण से किया गया। संलग्न फोटो में आप प्रेम बहिन जी को अपने विचार व्यक्त करते देख रहे हैं। उन्होंने तो वीडियोस भी भेजी थीं लेकिन गूगल ड्राइव /इंटरनेट की strength की समस्या को देखते हुए हम उन्हें शेयर करने में झिझक रहे हैं।
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प्रस्तुत हैं रजत भाई साहिब की कुछ रचनाएँ।
हर एक के लिए सुबह सुहानी हो
यही कामना है, शाम चिंता विषाद से मुक्त
रात गहरी नींद से युक्त,दिवस मधु मंगलमय हो
निशंक निर्द्वन्द निर्भय हो
यही तमन्ना है ।।
हर एक हो श्रमकातर हीन
बने न दीन ग़मग़ीन
अपने भुजबल पर बढ़े विश्वास अथक
रूके न प्रगति के रथ ,रोके न रूढी़ अंध मिथक
हो नि:संशय बढ़ता रहे, कटु जीवन संघर्ष भंवर के बीच हो,
यही सद्भावना है ।।
हर एक हो विश्वनियंता के भाव से विभोर
आस्तिक,सुरूचि संपन्न,सभ्य,सुसंस्कृत,सात्विक,
विश्व हरा भरा सजा संवारा,बने एक परिवार एक मालिक,
दृढ़ संकल्पना हरेक में हो
यही प्रचोदना है,यही तमन्ना है ।।
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300 बेड का विश्वस्तरीय नेत्र अस्पताल का निर्माण:
शिष्य शिरोमणि शुक्ला बाबा और परमपूज्य गुरुदेव के सूक्ष्म संरक्षण में बिहार स्थित अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल सफलता की अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुँच रहा है। आदरणीय सुनयना दीदी के बेटे और शुक्ला बाबा के नाती मृत्युंजय तिवारी भाई साहिब ने निम्नलिखित सूचना हमारे साथ शेयर की है। 300 बेड के हस्पताल का निर्माण अपनेआप में एक बहुत ही गर्व की विषय है। मृतुन्जय भाई साहिब और उनकी टीम की युवा नारियों को ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार की ह्रदय से शुभकामना। उनके द्वारा भेजा गया सन्देश यथावत आपके समक्ष प्रस्तुत है।
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आत्मीय परिजन, इस स्नेह भरे आमंत्रण पत्र में आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप सभी का अपना अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल जनहित के लिए एक और नया 300 बेड का विश्वस्तरीय नेत्र अस्पताल का निर्माण मस्तीचक में मदरसा / सैदपुर मौजा के दक्षिण स्थित अपने भूमि पे करने जा रहा है। जिसका भूमि पूजन समारोह दिनांक 27-03-2022 (रविवार) को भव्य कार्यक्रम के साथ संपन्न होगा।
कार्यक्रम समय-सारणी
रविवार, 27 मार्च 2022 प्रात: 9 बजे से 12 बजे –
– वैदिक भूमि पूजन
-11 कृडिय गायत्री महायज्ञ पूर्वाहन 11:30 बजे से अपराहन 1:30 बजे तक भंडारा एवं भोजन प्रसाद इस पावन अवसर पे आप सपरिवार पधार कर पूज्य शुक्ला बाबा के पूणित कार्य में अपनी सहभागिता प्रदान कर सौभाग्य को प्राप्त करें।
विनीत मृत्युंजय तिवारी (मुन्ना जी)
डॉ० अजित पोद्दार
नोट : कोरोना गाइडलाइंस का ध्यान रखते हुए मास्क का प्रयोग अवश्य करें।
आप समय निकाल कर आने का प्रयास करिए – मुन्ना भाई (गायत्री शक्तिपीठ, मस्तिचक)
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24 आहुति संकल्प
11 मार्च 2022 के ज्ञानप्रसाद अमृतपान के उपरांत 5 सहकर्मियों ने 24 आहुति संकल्प पूर्ण किया है, यह समर्पित सहकर्मी निम्नलिखित हैं :
(1 ) रेणुका गंजीर -24 ,(2 )अरुण वर्मा-31 ,(3 ) प्रेरणा कुमारी-25,( 4 )संध्या कुमार -26 , (5 ) सरविन्द कुमार -27
अरुण वर्मा जी प्रथम स्थान बनाए हुए हैं और गोल्ड मैडल विजेता घोषित किये जाते हैं।सभी सहकर्मी अपनी अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिन्हे हम हृदय से नमन करते हैं और आभार व्यक्त करते हैं। धन्यवाद्