वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

क्या ब्रह्माण्ड की अनंत शक्ति से आत्मबल प्राप्त किया जा सकता है ?

7 मार्च 2022 का ज्ञानप्रसाद – क्या ब्रह्माण्ड की अनंत शक्ति से आत्मबल प्राप्त किया जा सकता है ?

आज के 3 दिन पूर्व हमने एक शुभरात्रि  सन्देश भेजा जिसमें  गायत्री मंत्र के “धीमहि” शब्द की महिमा बताई गयी थी। धीमहि  शब्द सन्देश दे रहा था कि  व्यर्थ में धन संचय मत करो, कचरों की गठरी मत बांधो,सोने का टुकड़ा रख लो। इस सन्देश को respond करते हुए हमारे युवा परिजन  आशीष ने व्हाट्सप्प पर यह मैसेज  भेजा: शुभ रात्रि🙏🏻1-2 दिन से बार- बार यह अवसाद हो raha tha ki mere sath wale job change karke higher package le rahe hain, mai kya karun, kaise dhan sanchay karu. Par ab thik hai, fir se santosh hai mann ki chanchalata kam hui 🙏🏻   जो हमने रिप्लाई  किया वह भी आप के समक्ष रख रहे हैं :आशीष बेटे आपका कमेंट देख कर बहुत ही प्रसन्नता हुई कि ऑनलाइन ज्ञानरथ आपके लिए सहायक साबित हुआ। Stress तो किसी भी समस्या  का विकल्प नहीं है। Monday से हम आत्मबल पर लेख श्रृंखला आरंभ करेंगें अवश्य पढ़ना। संगीता और सानिश को हमारा स्नेहसंचित आशीर्वाद। पाली राजस्थान से बहुत ही सुसंस्कृत और प्यारे परिवार को हमारी शुभकामना एवं प्यार। इस मैसेज को यथावत आपके समक्ष प्रस्तुत करने का अभिप्राय यही है कि जो नए परिजन हमारे साथ जुड़ रहे हैं उन्हें यह आभास हो सके  कि ऑनलाइन ज्ञानरथ सन्देश किस प्रकार आत्मीयता और अपनत्व की कसौटी पर खरे उतरते हुए स्थाई  मानसिक शांति प्रदान करने में भी सहायक हो सकते  हैं। विश्व की वर्तमान उथल-पुथल और त्राहि-त्राहि भरी स्थिति में अगर कोई सहारा मिलने की सम्भावना है तो वह  केवल परमपिता परमात्मा का हाथ ही है जो हम सबके सर पर है, क्योंकि हम सब उस पिता की ही संतान हैं, कोई भी पिता अपने बच्चों को कष्ट में नहीं देख सकता। 

 “सप्ताह का एक दिन पूर्णतया अपने सहकर्मियों का”  शीर्षक से नवीन प्रयास को बहुत ही सराहनीय रिस्पांस मिला है। हमारे सहकर्मी लेख में  कमेंट तो करते ही  हैं , लेकिन इस प्रयास  पर भी सभी ने अपनी सक्रियता दिखाई, उसके लिए सभी का आभार व्यक्त करते हैं। आशा करते हैं कि सभी अपनी-अपनी आत्मकथाएं, अपने अंदर छिपी /सुप्त प्रतिभाएं उभारने, उन्हें हम सबके समक्ष लाने में व्यस्त  होंगें  क्योंकि weekend नज़दीक ही है। यह हमारे सहकर्मियों का “अपनों से अपनी बात” का सेक्शन है। हमें  पूर्ण विश्वास है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ प्रतिभावानों का जमावड़ा है और रेणु श्रीवास्तव बहिन जी ने यह  कहकर कि “ऑनलाइन ज्ञानरथ ने सभी को लेखक बना दिया है” हमारी बात की पुष्टि कर दी है।

आज  से आरम्भ होने वाली आत्मबल पर आधारित  श्रृंख्ला, विज्ञान और अध्यात्म दोनों पर आधारित है। आज  हर कोई इसी दौड़ में में व्यस्त  है कि किसी भी तरीके से दूसरे को नीचा दिखाकर,  गिराकर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है।  इस स्थिति में कमज़ोर को कहाँ से सहारा मिलेगा।  जो बेचारा अल्प संसाधनों से, कठिन परिश्रम के बलबूते पर compete करने का प्रयास करता है। जब वह इस दौड़ में थक हार कर गिर जाता है ,फिर उठता है, दुगने आत्मबल के साथ  फिर दौड़ में लग जाता है, फिर न केवल विजयी होता है शिखर पर पहुँचता है।  क्या है यह आत्मबल, आत्मविश्वास मनोबल? आत्मबल कैसे विकसित किया जाता है ? क्या इसका कोई वैज्ञानिक मार्ग है या फिर आध्यात्मिक शक्ति से हम अपनेआप को आत्मविश्वासी  बना सकते हैं।  अगर हम कहते हैं कि गायत्री मन्त्र जप से हम सविता देवता, सूर्य देवता की शक्ति वरन कर सकते हैं तो लोग  विश्वास नहीं करते। इसका कारण केवल एक ही है कि आज instant का युग है, लोगों को बिना कुछ किये सबकुछ इन्सटैंट प्राप्त करने की आदत पड़ चुकी है ,तर्क-कुतर्क की आदत पड़ चुकी है।  परमपूज्य गुरुदेव ने 24 वर्ष तक केवल जौ और छाछ पर निर्वाह किया।  हम 24 दिन तो क्या, 24 घंटे भी इस तरह की साधना नहीं कर सकते। हमें सही मार्गदर्शन देने में हमारा इतिहास, हमारे ग्रन्थ भरे पड़े हैं। परमपूज्य गुरुदेव ने scientific spirituality पर वह  ज्ञान प्रदान किया है जिसकी तुलना में और कहीं बहुत ही कम मिलता है। आत्मबल के विषय पर चर्चा करने  से पहले आइये देखें क्या विज्ञान सभी समस्याओं का समाधान  ढूंढ पाने में सक्षम है और क्या अध्यात्म की शक्ति से आत्मबल प्राप्त किया जा सकता है।    

“अध्यात्म वहीं से शुरू होता है जहां विज्ञान खत्म होता है।” 

अक्सर कहा जाता है कि अध्यात्म वहीं से शुरू होता है जहां विज्ञान खत्म होता है। आइए आज बात करते हैं विज्ञान की। हमारी यह धारणा है कि विज्ञान और अध्यात्म दो अलग, स्वतंत्र, समानांतर घटनाएं हैं। हम सोचते हैं कि वे  एक दूसरे के विपरीत  हैं। हमें यही विश्वास करते  है कि वे कभी नहीं मिल सकते लेकिन हम पूरी तरह से  गलत हैं। अध्यात्म वहीं से शुरू होता है जहां विज्ञान खत्म होता है। अध्यात्म के पास उन बातों के  explanations हैं  जिनके लिए  वैज्ञानिक अपनेआप को असमर्थ समझते हैं और उनके पास  मापने या समझाने का कोई भी  तरीका नहीं है। जब कोई वैज्ञानिक  किसी घटना की व्याख्या करने में अपनेआप को असमर्थ पाता  है  तो वह  उसे या तो  विसंगति ( anomaly)  के रूप में लेबल कर देता है  या  चमत्कार कहता है ।

आइये ज़रा इसे भी  clear  करने का प्रयास करें। चमत्कार जैसी कोई चीज नहीं होती। जिसे हम यहां चमत्कार के रूप में देखते हैं, वह अस्तित्व के दूसरे स्तर पर सामान्य है। जिसे हम चमत्कार समझते हैं वह आमतौर पर टेलीपोर्टेशन होता है। Teleportation एक अलग ही विषय है जिसकी  यहाँ चर्चा करना विषय को कठिन बनाना ही हो   किसी पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाना या ले जाना  Teleportation के अंतर्गत आता है ,  देखने में  तो पूर्णतया काल्पनिक लगता है  लेकिन ऐसी बात नहीं है। 

हमारा ज्ञान सीमित है लेकिन  ब्रह्मांड की कोई सीमा नहीं है। आध्यात्मिक ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। आध्यात्मिक दुनिया की तरह, इस ब्रह्मांड में हर प्रकार की संभावनाएं  मौजूद है। ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि मानव खोजों की लघुता तक सीमित नहीं रह सकता है, या मानव मन द्वारा समझा जा सकता है। ब्रह्मांड असीम ऊर्जा से भरा है। 

आज के  वैज्ञानिक धीरे-धीरे उसी निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं। जब वे पाते हैं कि ब्रह्मांड अंतहीन (अनंत) और विशाल है, तो उन्हें पता चलता है कि शून्य ( vacuum ) में कुछ भी मौजूद नहीं हो सकता। पूरे ब्रह्मांड में कुछ न कुछ सामान्य है। यह क्या हो सकता है? यह वह ऊर्जा है जिसके बारे में प्राचीन ऋषि हमेशा बात करते रहे हैं। ब्रह्मांड असीम ऊर्जा से भरा है।

Astrophysicists अब उन संभावनाओं के बारे में बात कर रहे हैं जिन पर उन्होंने एक दशक पहले कभी विचार  ही नहीं किया होगा। वे अब समानांतर ब्रह्मांड (parallel universe) की बात करते हैं। उन्होंने पाया है कि हर बार जब एक तारा परिवार  मरता  है और एक ब्लैक होल में गायब हो जाता  है, तो दूसरा इस विशाल ब्रह्मांड में कहीं और एक बड़े धमाके के निर्माण में पैदा हो जाता  है।

मनुष्य या आकाशीय पिंडों द्वारा शुरू की गई प्रत्येक क्रिया एक प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है। कुछ समय पहले तक वैज्ञानिकों को यकीन था कि क्रिया और प्रतिक्रिया समान और विपरीत हैं लेकिन  अब ऐसा  नहीं समझा जाता  है। Newton का  Third Law of motion “ To every action there is equal and opposite reaction”  को अब वैज्ञानिक किसी और दृष्टि से देख रहे हैं। 

वैज्ञानिकों ने chaos theory  विकसित की  है। वे अब निश्चित होकर कह रहे  हैं कि action  और reaction  equal और opposite  नहीं हैं। चीन में अपने पंख फड़फड़ाती तितली मेक्सिको में बवंडर का कारण बन सकती है! हजारों साल पहले ऋषियों ने जो कहा है, उसकी पुष्टि करने का यह उनका अपना  तरीका है।

बुद्धिमान ऋषियों ने घोषणा की कि हम में से प्रत्येक एक विशाल पहेली का हिस्सा है। हम सब सामूहिक चेतना का हिस्सा हैं। हम जो कुछ भी करते हैं या सोचते हैं वह हमारे आसपास के लोगों को प्रभावित करेगा। इसका प्रतक्ष्य प्रमाण कोरोना के रूप में हम सब पिछले कुछ वर्षों से झेल रहे हैं। सारा विश्व इसकी चपेट में कैसे आया, सबने देखा। पहली  dose ,दूसरी dose ,booster dose आदि क्या अंत है ,कितने variants हैं कोई अनुमान नहीं है। 

हमारी दुनिया कई स्तरों पर गहराई से जुड़ी हुई है। हम ब्रह्मांड में कई अलग-अलग प्राणियों और वस्तुओं के साथ एक ही ऊर्जा साझा करते हैं। हम सभी एक ही सामूहिक चेतना का हिस्सा हैं, चाहे हम इसे किसी भी नाम से संबोधित करें।

आज का लेख को यहीं पर विराम देते हुए आशा करते हैं कि इस complex   वैज्ञानिक  चर्चा से आत्मबल जैसे विषय को समझने में सहायता मिलेगी।  

हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं कि प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका आने वाला दिन सुखमय हो। धन्यवाद् जय गुरुदेव आज का लेख भी बड़े ही ध्यानपूर्वक तैयार किया गया है, फिर भी अगर कोई त्रुटि रह गयी हो तो उसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं।

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 24 आहुति संकल्प सूची एवं इतिहास : जो सहकर्मी हमारे साथ लम्बे समय से जुड़े हुए हैं वह जानते हैं कि हमने कुछ समय पूर्व काउंटर कमेंट का सुझाव दिया था जिसका पहला उद्देश्य था कि जो कोई भी कमेंट करता है हम उसके आदर-सम्मान हेतु रिप्लाई अवश्य करेंगें। अर्थात जो हमारे लिए अपना मूल्यवान समय निकाल रहा है हमारा कर्तव्य बनता है कि उसकी भावना का सम्मान किया जाये। कमेंट चाहे छोटा हो य विस्तृत ,हमारे लिए अत्यंत ही सम्मानजनक है। दूसरा उद्देश्य था एक परिवार की भावना को जागृत करना। जब एक दूसरे के कमेंट देखे जायेंगें ,पढ़े जायेंगें ,काउंटर कमेंट किये जायेंगें ,ज्ञान की वृद्धि होगी ,नए सम्पर्क बनेगें , नई प्रतिभाएं उभर कर आगे आएँगी , सुप्त प्रतिभाओं को जागृत करने के अवसर प्राप्त होंगें,परिवार की वृद्धि होगी और ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार का दायरा और भी विस्तृत होगा। ऐसा करने से और अधिक युग शिल्पियों की सेना का विस्तार होगा। हमारे सहकर्मी जानते हैं कि हमें किन -किन सुप्त प्रतिभाओं का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, किन-किन महान व्यक्तियों से हमारा संपर्क संभव हो पाया है। अगर हमारे सहकर्मी चाहते हैं तो कभी किसी लेख में मस्तीचक हॉस्पिटल से- जयपुर सेंट्रल जेल-मसूरी इंटरनेशनल स्कूल तक के विवरण compile कर सकते हैं। इन्ही काउंटर कमैंट्स के चलते आज सिलसिला इतना विस्तृत हो चुका है कि ऑनलाइन ज्ञानरथ को एक महायज्ञशाला की परिभाषा दी गयी है। इस महायज्ञशाला में विचाररूपी हवन सामग्री से कमैंट्स की आहुतियां दी जा रही हैं। केवल कुछ दिन पूर्व ही कम से कम 24 आहुतियों (कमैंट्स ) का संकल्प प्रस्तुत किया गया। इसका विस्तार स्कोरसूची के रूप में आपके समक्ष होता है। आप सब बधाई के पात्र है और इस सहकारिता ,अपनत्व के लिए हमारा धन्यवाद्। प्रतिदिन स्कोरसूची को compile करने के लिए आदरणीय सरविन्द भाई साहिब का धन्यवाद् तो है ही ,उसके साथ जो उपमा आप पढ़ते हैं बहुत ही सराहनीय है। सहकर्मीओं से निवेदन है कि संकल्प सूची की अगली पायदान पर दैनिक ज्ञानप्रसाद के संदर्भ में कमेंट करने का प्रयास करें -बहुत ही धन्यवाद् होगा। 

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24  आहुति संकल्प 

5 मार्च  2022 वाले लेख के स्वाध्याय के उपरांत निम्नलिखित  6  सहकर्मियों ने संकल्प पूर्ण किया है। 

(1)अरुण वर्मा-27 ,(2  )सरविन्द पाल-32  ,(3  )संध्या कुमार -25 ;(4 )प्रेरणा कुमारी-24,(5) पूनम कुमारी-24 ,(6 )रेणु श्रीवास्तव -32

सरविन्द पाल जी और रेणु श्रीवास्तव जी दोनों ने 32 अंक प्राप्त करके गोल्ड मैडल हासिल किया है।  दोनों समर्पित सहकर्मियों को हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक शुभकामना।   सभी सहकर्मी अपनी अपनी समर्था और समय के अनुसार expectation से ऊपर ही कार्य कर रहे हैं जिन्हे हम हृदय से नमन करते हैं और आभार व्यक्त करते हैं। धन्यवाद्

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