वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

गुरुदेव के अध्यात्मिक जन्म दिवस पर हमारी अनुभूतियों के श्रद्धा सुमन-6  पूनम कुमारी ,संजना कुमारी

11 फरवरी 2022 का ज्ञानप्रसाद-गुरुदेव के अध्यात्मिक जन्म दिवस पर हमारी अनुभूतियों के श्रद्धा सुमन-6 

आज के ज्ञानप्रसाद में हमारे सहकर्मी एक माँ-बेटी की जोड़ी की अनुभूतियों का अमृतपान कर रहे हैं  । संजना कुमारी जवाहर नवोदय विद्यालय में 12 वीं  कक्षा की  एक होनहार विद्यार्थी हैं।  प्रतिभा की दृष्टि से देखा जाये तो इस बेटी को  पेंटिंग,writing,कविता, orator, आज्ञाकारी जैसी अद्भुत प्रतिभाओं के अनुदान प्राप्त हैं। हमारे सहकर्मी संजना की कविताओं से परिचित हैं जिन्हें  हमने  कुछ समय पूर्व हमारे चैनल पर अपलोड किया था। कल जब  संजना अपने विद्यालय में जाने की तैयारी में थी तो हमने कुछ समय के लिए  drive करते-करते फ़ोन पर बात हुई। हमारा आशीर्वाद पाकर बहुत ही प्रसन्न हुई। हमारे सहकर्मी आज उसकी अनुभूति का पहला भाग  पढेंगें जो कि ऑनलाइन ज्ञानरथ के बारे में है।  कल हम दूसरा भाग प्रस्तुत करेंगें जिसमें   अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल, मस्तीचक शक्तिपीठ, शिष्य शिरोमणि शुक्ला  बाबा,सुनैना तिवारी ,मृतुन्जय तिवारी आदि से मिलने की  अनुभूतियाँ हैं।  शब्द सीमा के कारण इसे आज प्रस्तुत करना संभव न हो सका। हम सभी को इन  युवा सहकर्मियों की प्रतिभा को उभारने का कार्य बहुत ही गंभीरता से लेना चाहिए। संजना की मम्मी पूनम कुमारी जी की अनुभूति है तो संक्षिप्त लेकिन भावना से भरपूर है। साधना में  भावना की  बहुत बड़ी भूमिका है। 

अनुभूतियों की श्रृंखला अब अपने अंतिम चरणों से गुज़र रही है। शनिवार को संजना बेटी की, सोमवार को अरुण वर्मा-सुमन लता जी की अनुभूतिआँ lined up हैं।   राजकुमारी और सुधा बहिन जी ने अपने अनुभव  भेजने की इच्छा व्यक्त की थी, निवेदन करते हैं कि अगर कोई समस्या आ रही है तो हमें बताने का कष्ट करें।     तो यह था  हमारा अपडेट और अब सुनते  हैं माँ-बेटी के विचार।          

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पूनम कुमारी-संजना की मम्मी :

जब हमारा विद्यार्थी जीवन था तब किसी प्रकार का टेंशन नहीं था। शादी के कुछ दिनों बाद जिंदगी में उथल-पुथल आ गया। सुख-दुःख  की अनुभूतियां होती रहीं। पारिवारिक उलझने बढ़ती गईं । मैं गायत्री मंत्र का नियमित लेखन किया करती थी जिसके कारण मेरे अंदर धैर्य, साहस और सहनशक्ति बनी रही। उस वक्त मैं गुरुदेव के बारे में कुछ विशेष नहीं जानती थी। किसी जन्म का पुण्य फल ही  था जो मुझे इस जन्म में साक्षात महाकाल गुरुदेव के रूप में मिले। मैं यह तो नहीं कह सकती कि गुरुदेव से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में कोई दुःख  या कष्ट नहीं आया। दुःख  हमेशा आते हैं पर उनके  साथ ही उन दुःखों से  बाहर निकलने का समाधान भी होता है । जिंदगी में मैंने बहुत दुःख  देखे पर कभी हिम्मत नहीं हारी।  

कुछ दिन पहले भी मेरे सामने कुछ ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गई जिससे मैं बहुत दुःखी  मन से सोचने लगी कि  मेरा सारा जप-तप व्यर्थ जा रहा है।  मैंने गुरुदेव से धन-वैभव तो नहीं मांगा, केवल सद्बुद्धि और शांति ही मांगी  और सोचते-सोचते सो गई। जब आंख खुली तो मस्तिष्क में अचानक पहला ख्याल आया “पुत्र तुम मजबूत कंधे हो, हमारे अंग अवयव हो, तुम ही दो नयनतारे। ” ऐसा प्रतीत हुआ जैसे गुरुदेव मुझसे बोल रहे हों । इन वचनों से मुझ में इतनी शक्ति आ गई कि एक नए जोश के साथ अपनी कार्यों में लग गई और फिर सब कुछ अच्छा हो गया। मुझे अपने जीवन से यही शिक्षा मिली कि गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से जिंदगी में आने वाले सारे  कष्ट छू मंतर हो जाएंगे। आजकल जैसे कोरोना आया है तो वैक्सीन लग रहा है। क्या वैक्सीन लगने पर कोरोना नहीं हो रहा है, हो रहा है लेकिन वैक्सीन नियंत्रण का काम कर रही है।उसी प्रकार गायत्री मंत्र हमारा  सुरक्षा कवच है। अकेले में जब भी अखंड ज्योति पत्रिका पढ़ती हूं तो  एहसास होता है कि गुरुदेव साक्षात बोल रहे हैं और हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। मैं अंधेरे से उजाले में आ गई हूं। दिल में  अजीब सी एक  बेचैनी रहती है कि मैं भी मिशन के कार्यों के प्रति कुछ करने में समर्थ हो सकूं । मेरे कुछ पुण्य कर्मों का फल है कि मेरे बच्चे सही मार्ग पर चल रहे हैं, यह सब साक्षात मां गायत्री और गुरु जी की कृपा है। अब मेरी एक-एक सांस पर मेरे गुरुदेव का अधिकार है। उनकी जो मर्जी होगी वही होगा। इन्ही  शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।  कुछ गलत लिखा गया हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। जय गुरुदेव जय गायत्री मां जय विश्व वंदनीय माताजी 

2. संजना कुमारी :

सर यह मेरी अनुभूति है। पहले मुझे लगा था कि केवल  परमपूज्य गुरुदेव  से सम्बंधित अनुभूति ही  प्रस्तुत करनी  है परन्तु जब  आदरणीय सविंदर चाचा जी और आदरणीय प्रेरणा दीदी जी की अनुभूतियां देखीं तो   हमें मार्गदर्शन मिला  कि हम भी कुछ लिख कर अपना आभार व्यक्त करें। इस मार्गदर्शन के लिए सर्वप्रथम दोनों का हृदय से कोटि-कोटि धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार । इस अनमोल अनुभूति को हमारे साथ शेयर करने के लिए आदरणीय सरविंदर चाचाजी और हमारी आदरणीय एवं स्नेहिल दीदीजी को हमारे और हमारे परिवार की  तरफ से भावभरा सादर प्रणाम एवं हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद।  सचमुच आप दोनों की श्रद्धापूर्ण अनुभूति में एक  अद्भुत शक्ति है  जिसने  हमें भी अपने मन की बात कहने के लिए प्रेरणा दीं। आदरणीय चाचा जी के जीवन का कायाकल्प और मार्गदर्शन एवं स्नेहिल दीदीजी की  आत्मीय श्रद्धा हमारे लिए एक उदाहरण  है। आप दोनों महान आत्मीय जनों से अनुरोध है कि आप इसी तरह हमारा मार्गदर्शन करते रहें।  

अभी हम गुरुदेव द्वारा लिखित पुस्तक “हमारी  वसीयत और विरासत” पढ़ रहे हैं जो कि  अद्भुत है, अनुपम है। सचमुच हम कृतकृत्य हो रहें हैं। मनुष्य में देवत्व का जागरण  और धरती पर स्वर्ग का अवतरण की आस्था  और भी परिपक्व  हो गई है। यह पुस्तक परमपूज्य गुरुदेव की  आत्मगाथा है। सचमुच परमपूज्य गुरुदेव ही  हमारे सब कुछ  हैं, साक्षात परब्रह्म हैं। हम सब  बहुत ही सौभाग्यशाली हैं जो हमें उनका  संरक्षण प्राप्त हुआ । गुरुदेव से प्रार्थना है कि हमें ऐसी शक्ति दें कि  हम भी युग निर्माण कार्य में कुछ योगदान दे सकें।

ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार में हमारी अनुभूति : 

ऑनलाइन ज्ञानरथ से सचमुच में जो कुछ हमें प्राप्त हो रहा है उसे शब्दों में बांध पाना कठिन है। लेकिन फिर भी  जो हम नीचे लिख रहे हैं यह हमारा एक छोटा सा प्रयास है ,जो हमें ऑनलाइन ज्ञानरथ से मिला है ,वह इससे कहीं बड़ा है। 

1. आदरणीय डॉक्टर सर हम सभी के जीवन में  मार्गदर्शन करकेमहत्वपूर्ण   भूमिका निभा रहे हैं। 

2.वह असीम  प्रेम बरसा रहे हैं ,जो प्रतिदिन ज्ञानप्रसाद की  ज्ञानगंगा बहाकर हमें कृतार्थ  कर रहे हैं। 

3. प्रतिदिन हमारे विचारों में उत्कृष्टता ला रहे हैं।  

4.हमारी भावनाओं को   एक सार्थक दिशा देकर परमपूज्य गुरुदेव की  शक्तियों का आभास करा रहे हैं।   

5.हमारे और हम सब  के परिवार के जीवन के  हर क्षण को  सार्थक बनाने में लगे हैं।  

6.हमारा उचित समय पर मार्गदर्शन करके हमारे और हमारे परिवार के  सबसे  सौभाग्यशाली क्षण हमारे जीवन के पलों में शामिल का रहे हैं। 

7. परमपूज्य गुरुदेव के प्रथम शिष्यों में से एक शिष्य शिरोमणि शुक्ला बाबा जी से भेंट करवाई  

8. मेरी  कविताओं को उड़ान दी। 

9.हमें परिवार का सही अर्थ उस समय बताया,जब हमें परिवार नाम से चिढ़  हो गई थी।

10.हमें हमारे जीवन का सबसे बड़ा उपहार यानि ऑनलाइन ज्ञानरथ  परिवार का अंग बनाया। 

11.इतने अधिक  सज्जन परिजनों का आशीर्वाद, स्नेह और सानिध्य दिलाया। 

एवं  और भी बहुत कुछ है  जिन्हे केवल  हमारा ह्रदय  ही समझ सकता है। शायद हम  यह अनमोल ऋण कभी भी  ना चुका सकें, लेकिन प्रयास अनवरत करते  ही रहेंगें। जैसे हमारे सर  अपने  गुरु  के प्रेम  मंत्र  “बोने और काटने” का पुनीत कार्य  कर रहे हैं, उसी प्रकार  हम सब  को  भी इसे चरितार्थ करने की प्रेरणा दे रहे हैं।  हम आपको कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं और ह्रदय से आभार व्यक्त करते हैं।

हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं कि प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका आने वाला दिन सुखमय हो। धन्यवाद् जय गुरुदेव

हर बार की तरह आज का लेख भी बड़े ही ध्यानपूर्वक तैयार किया गया है, फिर भी अगर कोई त्रुटि रह गयी हो तो उसके लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं।

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24 आहुति संकल्प सूची :

10  फ़रवरी 2022 के ज्ञानप्रसाद का अमृतपान करने के उपरांत इस बार आनलाइन ज्ञानरथ परिवार के 7  समर्पित साधकों ने  24 आहुतियों का संकल्प पूर्ण कर हम सबका उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन कर मनोबल बढ़ाने का परमार्थ परायण कार्य किया है। इस पुनीत कार्य के लिए सभी युगसैनिक बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं और हम कामना करते हैं और परमपूज्य गुरुदेव की कृपा दृष्टि आप और आप सबके परिवार पर सदैव बनी रहे। वह देवतुल्य युगसैनिक  निम्नलिखित हैं :

(1 )राज कुमारी कौरव-24, (2 )रेनू श्रीवास्तव -27,(3 ) अरुण कुमार वर्मा -25,(4 ) सरविन्द कुमार -26,(5 ) प्रेरणा कुमारी -24, (6 ) धीरप सिंह -24, (7 ) संध्या कुमार-25,

सभी  युगसैनिकों को आनलाइन ज्ञान रथ परिवार की तरफ से बहुत-बहुत साधुवाद, हार्दिक शुभकामनाएँ व हार्दिक बधाई हो। रेनू बहिन जी ने  आज फिर सभी को पछाड़ते हुए  गोल्ड मैडल प्राप्त किया है।  हमारी व्यक्तिगत एवं परिवार की सामूहिक बधाई। हमारी दृष्टि में सभी सहकर्मी विजेता ही हैं जो अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं,धन्यवाद् जय गुरुदेव

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