13 अक्टूबर 2021 का ज्ञानरथ – 11 सितम्बर वाले लेख पर सविंदर जी का विश्लेषण
आज का ज्ञानप्रसाद आदरणीय सरविन्द भाई साहिब का हमारे द्वारा प्रकाशित लेख का अत्यंत सरल विश्लेषण है। यह लेख 11 सितम्बर 2021 को “ गायत्री मंत्र के 24 अक्षर और उनसे सम्बंधित शक्तियां” के शीर्षक से प्रकाशित हुआ था। हम सरविन्द भाई साहिब से क्षमाप्रार्थी हैं कि उन्हें 4 अक्टूबर को फिर से इस लेख के विश्लेषण के लिए हमें स्मरण करवाना पड़ा। ऐसा केवल हमारे अत्यधिक workload के कारण ही होता है। हालाँकि हमारे सहकर्मियों ने हमारा कार्यभार अपने कन्धों पर लेकर कृतार्थ तो किया ही है लेकिन हमारे मन में सदैव नए नए विचार आते ही रहते हैं ,जैसे आजकल का नवीन शुभरात्रि सन्देश। हमने कमैंट्स से बचाय गए समय को इधर लगा लिया, इच्छा यही है कि गुरुकार्य में अधिक से अधिक योगदान करके पुण्य प्राप्त किया जाये।
दुर्भग्यवश इस बार भी हमें एडिटिंग करते समय सरविन्द जी के विचार लगभग 2000 शब्दों को कम करके 1300 शब्दों तक लाने पड़े । हम एक बार फिर लिखेंगें कि सरविन्द जी की लेखनी पर कोई भी शंका नहीं है,केवल शब्द सीमा को ध्यान में रखते हुए ऐसा करने में हमारी विवशता है। किसी भी बात को कम शब्दों में वर्णन करना बहुत ही कठिन कार्य होता है। आशा करते हैं कि हमारे और भी सहकर्मी सरविन्द जी के इस सराहनीय प्रयास से प्रेरणा लेते हुए कुछ नवीन लेख लिखने का प्रयास करेंगें।
कल वाले ज्ञानप्रसाद में “कर्म और भाग्य में से कौन श्रेष्ठ है” , इस विषय पर चर्चा करने का विचार है। तब तक आप सरविन्द भाई साहिब की अभिव्यक्ति का आनंद लीजिये।
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सरविन्द जी लिखते हैं :
आपने लिखा है कि शिक्षा की दृष्टि से गायत्री मंत्र के प्रत्येक अक्षर में प्रमुख सदगुणों का उल्लेख किया गया है और बताया गया है कि उनको आत्मसात करने पर मनुष्य देवों जैसी विशेषताओं से भर जाता है और अपना कल्याण तो करता ही है साथ में अनगनित प्राणियों को अपनी नाव में बिठाकर पार भी लगाता है , कैसे? आपके ही लेखानुसार हाड़-मांस से बनी और मल-मूत्र से भरी हमारी काया में जो कुछ भी खासियत दिखाई दिखाई दे सकती है वह इस काया में समाहित सत्प्रवृत्तियों,गुणों के कारण ही हैं और यही सत्प्रवृत्तियाँ मनुष्य को उत्कृष्ट बनाती हैंI जिस मनुष्य के गुण-कर्म एवं स्वभाव में जितनी उत्कृष्टता है वह उसी अनुपात से महत्वपूर्ण बनता हैI
आदरणीय अरुन भइया जी आपने उदाहरण के तौर पर बहुत सुन्दर शब्दों में लिखा है कि अगर हमारे शरीर में किसी रासायनिक पदार्थ उदाहरण के तौर पर B12 के कम पड़ जाने से स्वास्थ्य लड़खड़ाने लगता है, तब डाक्टर B12 की गोलियाँ या इंजेक्शन की सलाह देते हैं,ठीक उसी प्रकार सदगुणों में से किसी की भी कमी हो जाने पर व्यक्तित्व त्रुटिपूर्ण हो जाता है I उस सदगुण के अभाव के कारण प्रगतिपथ पर बढ़ने में रुकावट खड़ी हो जाती है और परिणामस्वरूप उन उपलब्धियों का लाभ नहीं मिल पाता है जिनके लिए यह अनमोल मनुष्य-जीवन हमें मिला थाI
तो क्या उस सदगुण की पूर्ति के लिए भी कोई इंजेक्शन या गोली है?
आपने उत्तर में लिखा है कि सदगुणों की पूर्ति करने वाला इंजेक्शन है “उपासनाI” इस विषय पर हमने अंतरात्मा की गहराई में पहुँच कर जब चिन्तन-मनन किया तो अनुभूति हुई कि गायत्री मंत्र से सभी उपचार सम्भव है जिसके भावार्थ से समझा जा सकता है कि यह मंत्र विशेषरूप से प्राणशक्ति के आकर्षण का मंत्र है। प्राण के आधार पर ही विश्व की समस्त क्रियाएं चल रही हैंI गायत्री मंत्र की उपासना द्वारा ब्रह्माण्ड में व्याप्त प्राणतत्व को स्वास द्वारा खीचकर संचित किया जाता है,बढ़ाया जाता हैI गायत्री प्राणों की रक्षा करती है और मनुष्य को अधिक प्राणवान बनाती हैI गायत्री मंत्र द्वारा मनुष्य उदीयमान सूर्य-सविता की उपासना, साधना व आराधना करके उसकी प्राणशक्ति व ऊर्जा को अपने अंतःकरण में धारण करने की आकांक्षा,याचना व प्रार्थना करता हैI गायत्री मंत्र मनुष्य के अंतःकरण में प्राण को प्रतिष्ठित कर उसकी रक्षा करता हैI ध्यान की एकाग्रता, तप की तल्लीनता जब बढ़ती है तो मनुष्य को इसकी अनुभूति होने लगती हैI गायत्री मंत्र ऐसे सारगर्भित शब्दों को मिलाकर बना है जिसके एक-एक शब्द में अनेक शिक्षाएं एवं प्रेरणाएं सन्निहित हैंI गायत्री मंत्र के उच्चारण से मनुष्य को भौतिक लाभ तो प्राप्त होता ही है साथ ही आध्यात्मिक व सूक्ष्म प्रेरणाओं का लाभ भी मिलता है। यह साधारण नहीं असाधारण हैI
उगते हुए सूर्य देवता,सविता देवता की उपासना साधना व आराधना करने वाला मनुष्य कहता है:-
“हे परमात्मा,हमें सदबुद्धि प्रदान करें,सन्मार्ग पर चलाएँ,हम आपका स्मरण,चिन्तन श्रेष्ठ गुणों के साथ करते हैंI आपके श्रेष्ठ,तेजस्वी स्वरूप को अपने अंतःकरण में धारण करते हैं और आप हम सबको ऐसी बुद्धि प्रदान करें जिससे हम सब सन्मार्ग पर चल सकेंI”
अतः हम अपने आनलाइन ज्ञान रथ परिवारजनों को बताना चाहते हैं कि परम पूज्य गुरुदेव ने कहा है कि हर मनुष्य को सन्मार्ग पर चलना सदबुद्धि द्वारा ही संभव हो पाता है I बुद्धि तो सबके पास होती है लेकिन हर मनुष्य सदबुद्धि की ही याचना करता है I अगर माँगने की कोई वस्तु है तो वह सदबुद्धि ही है क्योंकि समस्त भौतिक,आध्यात्मिक उपलब्धियों के मूल में यही कार्य करती हैI प्राणशक्ति और सदबुद्धि यह दो बहुमूल्य उपहार यदि मनुष्य को मिल जाएं तो वह अधिक ऊर्जावान, निष्ठावान, विचारवान, प्राणवान, सामर्थ्यवान, उदारवान, गुणवान,संस्कारवान व पवित्रवान बनता चला जाता हैI
गायत्री मंत्र केवल पूजा-उपासना साधना व आराधना का या जप-ध्यान करने का छोटा-सा मंत्र नहीं हैI यह इस विश्व ब्रह्माण्ड की सर्वोपरि शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और सूर्य साक्षात ईश्वर का ही स्वरूप हैI
उस प्राणस्वरूप सविता देवता के साथ गायत्री-उपासक जितना गायत्री उपासना के माध्यम से सम्पर्क स्थापित कर लेता है वह उतना ही लाभ उठाने का सुअवसर प्राप्त कर लेता है I सविता देवता की उपासना से प्राणों की सम्पदा बढ़ती है तथा प्राणशक्ति ही मनुष्य की जीवनशक्ति हैI यही प्राणशक्ति गायत्री उपासक में साहस,जीवट,दृढ़ता,लगन,निष्ठा व तत्परता की भूमिका संपादित करती है I परम पूज्य गुरुदेव ने कहा है कि यह विभूतियाँ प्राणशक्ति की सहचरी हैं तथा नीरोगिता,दीर्घजीवन व मेधा के लावण्य के रूप में चमकती हैं और मन में यही शक्ति बुद्धिमत्ता,प्रज्ञा के रूप में रहती हैंI इस तरह से धीरे-धीरे गायत्री-उपासक में प्राणशक्ति की स्थिति शौर्य,निष्ठा,साहस,दृढ़ता,संयम, सहृदयता, सज्जनता, दूरदर्शिता एवं विवेकशीलता के रूप में दिखाई देने लगती हैI परम पूज्य गुरुदेव ने कहा है कि इस अनंत ब्रह्माण्ड में अपेक्षित प्राणशक्ति समुद्र में भरे हुए जल की तरह सूक्ष्मरूप में भरी पड़ी हैI अध्यात्म विद्या के जानकारों को पता है कि ब्रह्माण्ड में एक प्रचण्ड प्राणशक्ति चारों तरफ व्याप्त है जिसे “ब्रह्म ऊष्मा” ( Celetial heat ) कहते हैंI सम्पूर्ण विश्व में विविध प्रकार की हलचलें व गतिविधियां होती हैं, यह सब उस प्राणशक्ति के कारण ही हो पाता हैI पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं व वनस्पतियों में सजीवता भी प्राणशक्ति के कारण ही बनी हुई है और यह प्राण समस्त विश्व का जीवन दाता हैI गायत्री-उपासक गायत्री-साधना द्वारा उस प्राण की मात्रा को अपने अंदर जितना बढ़ाता है, आध्यात्मिक चुंबकत्व अर्थात् अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति उतनी ही अधिक बढ़ती जाती है और यह चुंबकत्व गायत्री की उपासना साधना व आराधना से अभीष्ट मात्रा में उत्पादित कर संचित रखा जा सकता हैI प्राणायाम की क्रिया द्वारा शरीर के सूक्ष्म संस्थानों का जागरण होता हैI
विश्वव्यापी महाप्राण को मनुष्य प्राणायाम के द्वारा अपने अंदर के सूक्ष्म से भी सूक्ष्म संस्थानों तक पहुँचाकर लाभ ले सकता हैI अतः अधिक दिव्य सामर्थ्य सम्पन्न बनने के लिए प्राणायाम को भी नित्य दैनिक उपासना, साधना व आराधना के साथ स्थान देना चाहिएI यदि गायत्री- साधना की विधि के साथ प्राणायाम की विद्या को भी समझ सकें तो गायत्री उपासक को अधिक लाभ मिल सकता है
हम सबका परम सौभाग्य है कि हमें परम पूज्य गुरुदेव जैसे महान तपस्वी व महान दिव्य आत्मा का निरंतर सूक्ष्म संरक्षण मिल रहा है जिन्होंने आजीवन एक तपस्वी का जीवन जिया I परमपूज्य गुरुदेव साक्षात महाकाल हैं और हम सब उनके शिष्य हैं जिन्होंने गायत्री मंत्र से सभी लाभ प्राप्त कर गायत्री माता को घर-घर पहुँचाया और विश्व वसुधा का कल्याण किया। गुरुदेव अपने कर-कमलों से लिखे साहित्य का प्रचार -प्रसार हम सबके माध्यम से निरंतर करवा रहे हैं। यह महान कार्य परम पूज्य गुरुदेव परोक्ष रूप से स्वयं ही कर रहे हैं और श्रेय हम सबको दे रहे हैं I “ ऐसी है हमारे गुरु की महानता।”जिस पर हम सब गुरु चरणों में नतमस्तक हैं।
हम जो कुछ भी लिख रहे हैं यह हमारे नहीं परम पूज्य गुरुदेव के ही विचारों की अभिव्यक्ति है। पूज्यवर की कृपादृष्टि व आदरणीय अरुण भइया के आशीर्वाद व मार्गदर्शन से ही यह सब लिखा जा रहा है I आनलाइन ज्ञान रथ के लेखों का स्वाध्याय कर और उन्हीं लेखों का अपने शब्दों में विश्लेषण कर हम अपने शब्दों में लिख रहे हैं I
आदरणीय अरुन भइया जी आपके दैनिक लेख पढ़ कर हम सबको बहुत बड़ी प्रेरणा मिल रही है। आप परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य का सरलीकरण और विश्लेषण कर हमें प्रेरित कर रहे हैं। हम सब इस अमृत तुल्य ज्ञान प्रसाद को पढ़ कर अपनी अंतरात्मा की गहराई में पहुँच कर आत्मसात कर रहे हैं I इस साहित्य के प्रचार- प्रसार का दाइत्व ऑनलाइन ज्ञानरथ के प्रत्येक सहकर्मी के कन्धों पर है।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि हम सभी सहकर्मी इस प्रस्तुत लेख को स्वयं तो पढेंगें ही साथ ही अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित करने हेतु शेयर भी करेंगे ताकि गुरुदेव के विचार क्रांति अभियान की लाल मशाल सम्पूर्ण जगत को जागृत करने में सहायक हो।
तो मित्रो आज का लेख यहीं पर समाप्त करने की आज्ञा लेते हैं और कामना करते हैं कि सविता देवता आपकी सुबह को ऊर्जावान और शक्तिवान बनाते हुए उमंग प्रदान करें। आप हमें आशीर्वाद दीजिये कि हम हंसवृत्ति से चुन -चुन कर कंटेंट ला सकें।
जय गुरुदेव