8 सितम्बर 2021 का ज्ञानप्रसाद – ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार के साथ संपर्क साधना
पिछले 2 -3 दिन से हमारा स्वास्थ्य हमारा सहयोग नहीं दे रहा था, अब गाड़ी बिल्कुल पटड़ी पर आ चुकी है और पूरी स्पीड से भाग रही है। हम बिल्कुल स्वस्थ हैं ,ऊर्जावान हैं ,फ्रेश हैं और ऑनलाइन ज्ञानरथ में अपने तुच्छ से समर्पण के लिए तत्पर हैं। सब आपकी शुभकामनाओं और परमपूज्य गुरुदेव की सूक्ष्म शक्ति का ही परिणाम है। ह्रदय से हम आप सबके बहुत ही आभारी हैं -किन शब्दों में आप सबका धन्यवाद् करें, हमें स्वयं समझ नहीं आ रहा। जब हम कुछ अस्वस्थ थे तो परमपूज्य गुरुदेव के शब्द हमारे कानों में बार-बार गूँज रहे थे जो उन्होंने शिरोमणि शुक्ला बाबा को मथुरा में कहे थे जब सुनैना दीदी ( शुक्ला बाबा की बेटी ) जीवन- मृत्यु से जूझ रहीं थीं। उन्होंने कहा था “ शुक्ला हम तेरी बेटी को मरने नहीं देंगें ,अगर वह मर गयी तो तू हमारा काम नहीं करेगा।” हमारे सहकर्मी तो हमारे बारे में कई बार लिख चुके हैं परन्तु हमारा भी एकमात्र उदेश्य यही है कि हम इस जीवन के अंतिम समय तक गुरुदेव को समर्पित रहकर उनके विचारों का ,साहित्य का प्रचार- प्रसार द्वारा इस विश्वरूपी उद्यान को सींचते रहें।
बच्चों के कमेंट ,बड़ों के कमेंट ,वरिष्ठों के आशीर्वाद ,एक एक कमेंट को पढ़ा है। अगर ईमानदारी से अपने भावों को व्यक्त करना हो तो सबको अलग -अलग व्यक्तिगत रिप्लाई करना चाहिए – शिष्टाचार तो इसी की मांग करता है ,लेकिन हम आपसे क्षमा मांगते हुए ऑनलाइन ज्ञानरथ के 12 स्तम्भों में से एक स्तम्भ – “शिष्टाचार” -की उलंघना करते हुए सामूहिक तौर पर सबका धन्यवाद् करने का प्रयास करेंगें। हमें विश्वास है कि इस उलंघना में आपकी स्वीकृति हमारे साथ है। हम इस दोष को भी सहर्ष अपने ऊपर ले लेंगें: “आपने स्वयं ही स्तम्भों की रक्षा न करते हुए उलंघना कर दी, आप हमें इनकी रक्षा करने को कैसे बाधित कर सकते हैं।” हम कैसे किसी को बाधित कर सकते हैं ? ऑनलाइन ज्ञानरथ के उदेश्यों के कारण , इसमें छिपे विचारों की शक्ति आपको- हमसे ,हमसे -आपको इस तरह जोड़े हुए है जिसका उदाहरण केवल एक माला के मोती ही हो सकते हैं , परमपूज्य गुरुदेव और वंदनीय माता जी चरणों में अर्पित अलग -अलग रंगों के पुष्पों की माला ही हो सकती है। भिन्न -भिन्न वाटिकाओं से एकत्रित किये गए पुष्पों की भांति, हमारे समर्पित सहकर्मी, परिवारजन बिल्कुल ऐसा ही आभास करवाते हैं। बहुत कम सहकर्मी हैं जिनसे हमारा फ़ोन से य वीडियो से संपर्क हो सका है। अधिकतर के बारे में तो हम कुछ भी नहीं जानते -लेकिन ऐसा लगता है जैसे कब के जानते हों। यह अन्तःकरण का मिलन है, आत्मा का मिलन है , विचारों का मिलन है। कल वाले लेख में ही जब मस्तिष्क के पोषण की बात हो रही थी तो हमने विचारों की बात की थी। यह विचार ही हैं जिनसे हमारी मनःस्थिति कण्ट्रोल होती है। नेगेटिव विचारों से नेगेटिविटी और पॉजिटिव विचारों से पाजिटिविटी का जन्म होता है। अब यह हम पर ,केवल और केवल हम पर ही निर्भर करता है कि हमने अपने मस्तिष्क को पौष्टिक भोजन देना है य नहीं। हमारे मस्तिष्क के लिए सकारात्मक विचार ही सबसे बड़ा पौष्टिक भोजन है।
आप सबको हमारे ऑनलाइन ज्ञानरथ के विचार अच्छे लगे , आपने उनको पढ़ा , सुना , औरों के साथ शेयर किया , परमपिता परमात्मा द्वारा रचित इस विश्वरूपी उद्यान को सुन्दर बनाने में अपना योगदान किया , अपना रोल अदा किया और परमपिता द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन किया, हर सुबह अमृत वचनों का पान किया , अपने अंदर शक्ति का संचार किया , इस शक्ति में से कुछ अंश औरों को भी अर्पित किये , उनको भी कृतार्थ किया – आप सबको कितनी शांति मिली ? इस शांति का अंदाज़ा तो हम आपके कमैंट्स से लगा ही लेते हैं। इतने बड़े -बड़े कमेंट और वह भी अन्तःकरण से लिखे जाने, कोई आसान कार्य नहीं है। हमें तो अत्यंत प्रसन्नता होती है कि हमारा – two-way- traffic वाला प्रयोग सफल हो रहा है। लेकिन “भटके हुए देवताओं” के बारे में सोच कर दया आती है ,चमत्कार की आशा में हमसे जुड़ने वालों का दुर्भाग्य है कि ऐसे परिजन गुरुदेव के विचरों का अमृतपान करने से वंचित रह जाते हैं। विश्वास -विश्वास -विश्वास, केवल विश्वास और आस्था से ही कुछ हो सकता है नहीं तो हम भटकते ही रहेंगें।
सोशल मीडिया साइटस पर दिए गए कमैंट्स से हम किसी बिज़नेस की लोकप्रियता का अनुमान लगा सकते हैं , किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जाने से पहले उसकी capability का अनुमान लगा सकते हैं – ठीक उसी प्रकार आपके कमैंट्स से और फिर हमारे समर्पित सहकर्मियों द्वारा दिए गए counter -comments से हमारे लेखों का मूल्यांकन हो सकता है। जितने अधिक कमैंट्स होंगें ,जितने अच्छे कमैंट्स होंगें ,जितने अधिक शेयर होंगें, उतने अधिक लोग हमसे जुडेंगें ,उतना अधिक हमारे परिवार का विस्तार होगा -उतना अधिक ज्ञान का प्रसार होगा। परमपूज्य गुरुदेव ने बार-बार इस दिशा में हमारा मार्गदर्शन किया है ,आगे भी करते रहेंगें।
आज की संपर्क साधना समाप्त करने से पूर्व हम आपसे दो बातें करना चाहेंगें। एक बात तो है हमारे समर्पित आदरणीय सहकर्मी सरविंदर पाल जी के बारे में। हमारे स्वास्थ्य का पूछते हुए उन्होंने कमेंट किया जिसकी हम जितनी सराहना करें कम है। अन्तःकरण से निकले शब्द , सुन्दर -ज्ञानपूर्ण शैली – अवश्य ही कोई दैवी शक्ति उनकी उँगलियाँ पकड़ कर लिखवा रही है। स्वास्थ्य को गायत्री महाविज्ञान की शिक्षा के साथ जोड़ते हुए उनका कमेंट 1642 शब्दों का था। अगर हम स्वास्थ्य वाला भाग निकल दें ,तो भी 1200 शब्दों से कम नहीं है। हम चाहते हैं कि कल वाले ज्ञानप्रसाद में आप उनके द्वारा लिखी गायत्री महाविज्ञान की शिक्षा को ग्रहण करें। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि सरविंदर जी जैसे और बहुत से सहकर्मी हैं जिनका रक्त सागर की लहरों की तरह कुछ करने को आतुर है। ऑनलाइन ज्ञानरथ प्लेटफॉर्म हर किसी की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने में संकल्पित है। दूसरी बात शिरोमणि शुक्ला बाबा जी की मस्तीचक शक्तिपीठ में मूर्ति स्थापना समारोह की वीडियो के संदर्भ में है। शीघ्र ही हम सभी क्लिप्स को एडिट करके आपके समक्ष लेकर आयेंगें।
तो इन्ही शब्दों के साथ हम कामना करते हैं कि सूर्य भगवान की प्रथम किरण आपके आज के दिन में नया सवेरा ,नई ऊर्जा और नई उमंग लेकर आए। जय गुरुदेव