हमारी भावनाएं ,हमारी बातें  अपने सहकर्मियों के साथ 

19 अगस्त  2021 – हमारी भावनाएं ,हमारी बातें  अपने सहकर्मियों के साथ 

हमारे किसी सहकर्मी ने कमेंट करके लिखा था कि नियमित लेखों और वीडियो के बीच आप जो अपडेट देते हैं वह “अपनों से अपनी बात” की तरह होता है और हमें पढ़कर शांति का आभास तो होता ही है ,साथ में एक पारिवारिक वातावरण का आभास ही होता है।     हम उनके कमेंट से शत प्रतिशत सहमत हैं  क्योंकि हम हैं ही एक छोटा सा परिवार जिसका नाम है ऑनलाइन ज्ञानरथ परिवार। जब हम  यह पंक्तियाँ लिख रहे हैं तो हमें बिलकुल यही आभास हो रहा है कि हम सब इक्क्ठे बैठे हुए हैं और विचारों का आदान प्रदान कर रहे हैं। हमने कई सहकर्मियों से वॉइस कॉल/ वीडियो काल  की हैं और उनकी आकृतियां  भी पता हैं लेकिन जिनके बारे में हमें कुछ भी नहीं पता ,हम काल्पनिक सम्बन्ध बना कर अपने ही अन्तःकरण से कुछ आकृतियां  बनाये बैठे हैं – आखिर यह सम्बन्ध स्थूल शरीरों  का न होकर ,सूक्ष्म तरंगों से जुड़ा हुआ है।    

इन updates में भावना बिल्कुल वही होती है -कौनसी वही ? वही जो  परमपूज्य गुरुदेव अखंड ज्योति में इस शीर्षक से लिखते थे, लेकिन हमने कभी भी यह शीर्षक प्रयोग में नहीं लाया। वह इसलिए कि  गुरुदेव द्वारा प्रयोग किया गया  शीर्षक उन्ही के लिए होना चाहिए।  इस तथ्य का बोध हमें उस समय हुआ जब हमारे एक सहकर्मी ने फ़ोन  करके हमें अपनी व्यथा कुछ इस प्रकार व्यक्त की – भाई साहिब आपने  अपने लिए “ तुच्छ”  शब्द का प्रयोग करके हमारे गुरुदेव का अनादर किया है ,मैंने अपने गुरु के इस अपमान में सारी  रात आंसुओं में  व्यतीत की है। हमने उन्हें सांत्वना देते हुए क्षमा प्रकट तो कर दी और इस बात को यकीनी भी बनाया कि  उनकी तरह और किसी  की भावना को ठेस न पहुंचे, हम  इससे अत्यंत व्यथित होंगें। लेकिन फिर सोचा कि एक तरफ हम परमपूज्य गुरुदेव की तरह सादा जीवन व्यतीत करने का प्रयास कर रहे हैं , उनकी तरह भौतिक पदार्थों से परे  जाने का प्रयास कर रहे हैं ,उनकी ही तरह स्नेह ,प्यार ,अपनत्व ,निष्ठां के मानवीय मूल्यों का पालन कर रहे हैं , परिजनों के दुःख -चिंता में अपनेआप को शामिल करे हुए हैं, परिजनों के दुखभरे किस्से सुनते हुए अपनी आँखों में आंसू आ जाते हैं – तो फिर हम उनके द्वारा प्रयोग किया हुआ शब्द “ तुच्छ “ का प्रयोग करके उन्हें और भी सम्मान दे रहे हैं। खैर हर किसी  की अपनी  सोच है और हर  सोच का आदर करना हमारा परम् कर्तव्य है। 

कल वाली वीडियो को भी आपने  बहुत सम्मान दिया इसके लिए हम ह्रदय से आपके   आभारी है।  नंबर भले ही कुछ कम हैं लेकिन यह कोई computerized  production line तो है नहीं जहाँ हम time -study करें और परिणाम उस स्टडी के हिसाब से ही आएं।  हमें बहुत ही गर्व और प्रसन्नता होती है कि गुरुदेव के विचारों को सरलता से घर- घर पहुंचा रहे हैं और विचार क्रांति का ध्वज हर  घर की शोभा बड़ा रहा है। लेकिन महेंद्र भाई साहिब की बातों का चिंतन- मनन -विश्लेषण ठीक उसी प्रकार करना चाहिए जैसे एक परीक्षार्थी  अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए कठिन  से कठिन  परिश्रम करता है।  आप खुद अपने examiner  हैं।  ज़रा आत्म निरीक्षण करके तो देखिये , क्या आपने अपनेआप को कभी भी डांटा है ,फटकारा है , ताड़ा  है ? यां  फिर हर परिस्थिति का ज़िम्मेदार किसी दूसरे  को ही माना है, दूसरे के सिर पर ही ठीकरा फोड़ा  है – क्योंकि हम तो सर्वगुण  सम्पन्न हैं !! -ज़रा सोचिये। 

आज सुबह ही  प्रेरणा बिटिया के कमेंट का रिप्लाई करते हमने फिर मृगतृष्णा का पाठ  पढ़ा दिया था। एक तरफ तो हम रट रहे हैं कि “जो प्राप्त  है वही पर्याप्त है ” और दूसरी तरफ हम भौतिकता  के दलदल में डूबे जा रहे हैं। कई बार हमें  फ़ोन करके दुखान्त किस्से वर्णन किये जाते हैं -घर की परिस्थिति बहुत ही बिगड़ चुकी है, शांतिकुंज में जीवनदान देना चाहते हैं -कृपया मार्गदर्शन करें।  इन्हे शायद दान का अर्थ ही नहीं मालुम – दान का अर्थ है देना। शांतिकुंज देने के लिए जाना हैं – लेने के लिए नहीं। इसीलिए गुरुदेव ने अपनी वीडियो में कहा है – आप शांतिकुंज आइये, आपका स्वागत है ,यहाँ सैर करने न  आइये , यहाँ समय निकाल कर आइये , यहाँ के  वातावरण में समय बिताइए।  गुरुदेव ऐसा क्यों  कह रहे हैं ? इसलिए कि वातावरण का हमारे  व्यक्तित्व  पर बहुत ही प्रभाव पड़ता है।  क्योंकि जैसा खाये अन्न  वैसा होये मन्न। माताजी के चौके का सात्विक प्रसाद , श्रद्धा से परोसे  गए  प्रसाद  में जो आध्यात्मिक तत्व हैं वह हमें कहाँ मिलेंगें।  इसीलिए हमने “शांतिकुंज एक आध्यात्मिक सैनिटोरियम” वीडियो आपके लिए बनाई थी। वातावरण  की जीती  जागती प्रतिमूर्ति के साथ हमें कल 45 मिंट बात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।  हम बात कर रहे हैं शशि मिश्रा बेटी की।  बात तो अरुण वर्मा जी की बेटी की एडमिशन के  बारे में  थी , साथ ही आदर, सम्मान और अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल के प्रति श्रद्धा और समर्पण को दर्शाती शशि हमारे अन्तःकरण को सुख प्रदान करा रही थी।  हमारी यह वाली  बेटी और बाकि जितनों को भी हमें जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, शुक्ल बाबा का संरक्षण ,मृतुन्जय भाई साहिब का लालन पालन – इन बेटियों के संवारने में कितना ही  सहायक हुआ है। यह सभी बेटियां बिहार जैसे पिछड़े  प्रदेश में कठिन परिस्थितियों से युद्ध करती हुई अपनी  प्रतिभा से “21 वीं सदी नारी शक्ति की सदी” गुरुदेव के उद्घोष का ध्वज लिए आगे ही आगे बढ़ रही हैं।   इन बेटियों  के समर्पण के आगे हमारे शीश अवश्य झुकने चाहिए। सही मानों में अगर  आदरणीय शुक्ला बाबा को कोई श्रद्धांजलि हो सकती है तो अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल मस्तीचक और इसकी शाखाओं का प्रचार प्रसार होना चाहिए।  आप इस दिव्य हस्पताल के बारे में  नीचे दिए गए लिंक से और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं  https://youtu.be/EAWBRZMWALg , https://youtu.be/ML7cfjz5_zk

बहुत बहुत धन्यवाद्।       

हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं  कि आज प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका  आने वाला दिन सुखमय हो। जय गुरुदेव

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