6 अगस्त 2021 – मस्तीचक का अनुभव – भाग 2
यूट्यूब द्वारा निर्धारित शब्द सीमा के कारण आज हमें सीधा अनुभूतियों की तरफ ही चलना पड़ेगा। आदरणीय शुक्ला बाबा की स्मृति में बहुत कुछ आ रहा है ,शीघ्र ही आपकी सेवा में प्रस्तुत करेंगें। _
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अरुण कुमार वर्मा जी का विवरण जारी :
ऐसे दो घटना और सुनिये –
मृत्युंजय भाई साहब का पूरा शरीर जाम हो गया था,हाथ पैर कुछ काम नहीं करता था। डॉक्टर ने कहा कि यह बीमारी का मरीज भारत में पहला व्यक्ति है जो ये है।सिर्फ सांस चलता था बाकी का सारा शरीर सुन्न था सुनैना दीदी ने कहा कि मै हरिद्वार फोन से शैल दीदी को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि हरिद्वार का भस्म है,तो दीदी ने कहा कि हां है ,तो उसे पूरे शरीर में लगा दो ,सब ठीक हो जाएगा।
दीदी हॉस्पिटल में गई और नर्स से बोली कि इसे लगा दीजिए तो नर्स ने पहले तो मना किया फिर बहुत कहने पर नर्स ने भस्म को लगा दिया।देखिए गुरु जी का चमत्कार सुबह जब दीदी का एक बच्चा जो काम करता था वो आकर बोलता है कि माता जी आप मत रोइए भैया का हाथ पैर थोड़ा थोड़ा काम कर रहा है। दीदी भी गई तो देखा कि सही में हाथ की उंगलियां थोड़ा थोड़ा हिल रहा था।फिर क्या था कुछ दिन में पूरा स्वस्थ हो गए।मृत्युंजय भाई साहब का ही एक घटना और सुनाए जिस समय वो पूरे परिवार सहित कलकत्ता में रहते थे।दीदी बोली कि मृत्युंजय अपने दोस्तो के साथ पार्टी मना कर आ रहा था तो एक ट्रक से बचाव करने के दौरान ट्रैफिक सिग्नल में जाकर गाड़ी को ठोक दिया गाड़ी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया लेकिन इनको सिर्फ ओठ कट गया था।पुलिस फोन किया कि आपके लडके का एक्सिडेंट हो गया है दीदी बताती है कि हम लोग जब वहां पहुंचे तो घर से फोन उनकी बेटी की कि भैया घर पहुंच गए हैं।
यह सब क्या है कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है यह एक सत्य घटना है जो सुनैना दीदी के मुख से हमें सुनने का अवसर मिला। सुनैना दीदी बतातीं है कि गुरुदेव मस्ती चक में चार बार पधारे है। एक बार जब गुरु जी वहां पहुंचे तो रात में उसी जगह पर रुके थे जहां आज नेत्र हस्पताल के कर्मियों और रोगियों को रहने के लिए भव्य मकान बनाया गया है। दीदी से करीब तीन घंटा तक बात होती रही।बहुत आंनद आया। यह सब कार्य हमारे परम प्रिय आदरणीय अरुण भैया के माध्यम से सम्पन्न हुआ। दीदी बताती है कि लौक डौन के पहले गुजरात से हमेशा करीब सौ डेढ़ सौ आदमी आते रहते थे। मै ज्ञान रथ के सभी परिजनों से निवेदन करता हूं कि मौका मिले तो एक बार इस पावन भूमि का दर्शन जरूर करे।यह छोटा शांतिकुंज है। बाबा का दर्शन पाकर मै बहुत ही अपने आपको ऊर्जावान महसूस कर रहा हूं। जय गुरुदेव जय माता जी जय मा गायत्री🙏🏼
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मस्तीचक के हमारे अनुभव:-संजना बिटिया रानी
मस्तीचक गायत्री शक्तिपीठ बिहार के सारण जिला (छपरा) में स्थित है।
यह तो शत प्रतिशत सत्य बात है गुरु जी की आज्ञा थी सो अचानक संयोग बना और हम सभी ने उस पावन जगह के दर्शन किए और उस दिव्यता को अभी भी महसूस कर रहे हैं। सौभाग्यवश हमारे जो ड्राइवर अंकल थे वह स्वयं भी गायत्री परिवार से हैं। अखंड ज्योति पत्रिका का 1982 से ही स्वाध्याय करते रहे हैं। आने एवं जाने के क्रम में उन्होंने अपनी विचारधारा व्यक्त की तथा बहुत सी महत्वपूर्ण बातों पर चर्चाएं भी की जैसे मनुष्य इस संसार में गागर में सागर और सागर में गागर की तरह है; इस दुनिया में सभी पदार्थ अपने गुण से गुणित है; हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं संप्रदाय है धर्म तो हम सभी का एक ही है और वह है अपनी जिम्मेदारियां पूरा करना जैसे सूरज का अपना धर्म है ,पृथ्वी का अपना धर्म है; कोई भी तीर्थस्थल के दर्शन करने से कोई फायदा नहीं जब तक हम मनुष्य अपने दुर्गुणों को नहीं हटाएंगे; हमें भगवान को खोजने की जरूरत नहीं बल्कि अपने विचारों और भावनाओं को उच्चतम शिखर तक ले जाने की जरूरत है तब वह दिव्य प्रकाश हमारे अंदर से स्वयं उसी क्षण आ जाएंगे ,आदि आदि। तो यह गुरुजी के अखंड ज्योति पत्रिका की शक्ति है कि वह आम आदमी को भी इस तरह ज्ञानी पुरुष बना दे रही है बिना किसी डिग्री के। इस प्रकार बातें करते हम मस्तीचक के शक्तिपीठ पहुंचे। मंदिर में यज्ञ हो रहा था सो हमारे कानों में मंत्रोच्चार सुनाई देने लगी और अंदर की श्रद्धा ने और तीव्र गति ले ली। सामने चापाकल थी हमने हाथ पैर धोए और अंदर प्रवेश किया। शुक्ला बाबा जी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए महामृत्युंजय मंत्र की आहुति भी दी जा रही थी। बाहर से सब कुछ अति साधारण दिख रहा था परंतु अंदर की दिव्यता तो अलौकिक थी। सभी सहकर्मी अपने अपने कामों में व्यस्त थे। इन सभी के अंदर की श्रद्धा भावना और आत्म संतुष्टि से वहां का परिवेश जगमग हो रहा था। अब और ज्यादा देर इंतजार नहीं किया जा रहा था सो हमने जल्द ही मंदिर के दर्शन करना प्रारंभ किए। वहां के सारे मंदिर कुल 5 कक्षों में विभाजित हैं। दर्शन तो हम सभी ने सामने के गायत्री मंदिर से करना शुरू कर दिए जिसमें मां गायत्री की मूर्ति के साथ-साथ उनकी सवारी हंस, मां दुर्गा और मां सरस्वती जी की भी मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर के बाएं से प्रथम में गुरुजी और माताजी की मूर्तियां स्थापित हैं। इसके तुरंत बाएं मे प्रखर प्रज्ञा ,सजल श्रद्धा का कक्ष है जिसमें गुरु जी के जीवन को दर्शाते हुए पूरे दीवारों पर लेख लगाए गए हैं। यहां कलश भी स्थापित है एवं खड़ाऊ भी रखे हुए हैं। यहां हम सभी ने बैठकर उसकी भव्यता और शांति को अपने अंतःकरण में स्थापित करने की कोशिश की। मन और प्रफुल्लित हो रहा था। इसके उपरांत हमने गायत्री मंदिर के दाएं गुरुजी और माताजी के महाकाल के रूप में दर्शन किये जो कि प्रथम ऐसी मंदिर है। यहां शिवलिंग भी है और यह मंदिर अपने आप में ही विलक्षण है। तत्पश्चात हमने यज्ञशाला का भ्रमण किया और पंडित जी से प्रसाद ग्रहण की। तभी आदरणीय सुनैना माता जी और उनके पति जी से हम लोगों की भेंट हुई और उन्होंने तुरंत ही हमें शुक्ला बाबा जी के दर्शन करवाएं। उन्हें अपने नयनों से देख कर बहुत तृप्ति का आभास हुआ मानो हमने गुरु जी के दर्शन कर लिए। अंदर की श्रद्धा अश्रु रूप में बाहर आने लगी। हम सभी ने उन्हें एक-एक करके साष्टांग दंडवत प्रणाम किया। उन्होंने पूछा आप कहां से आए हैं फिर हमारे पिताजी श्री अशोक कुमार गुप्ता जी ने बताया कि हम दानापुर बिहटा से आए हैं। अपनी वाणी से और दोनों हाथ उठाकर उन्होंने बोला कि हमारा आशीर्वाद है। ऐसे तो हमें सारे नियम याद होते हैं लेकिन सिद्धपुरुषों के सामने हमारे सारे ज्ञान धरे के धरे रह जाते हैं और काम आती है तो बस निश्चल श्रद्धा और सद्भावना। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए फिर तुरंत ही हमने हमारी मुलाकात को खत्म किया लेकिन मन वहां से हटने को नहीं कर रहा था। लेकिन अभी एक और महत्वपूर्ण क्षण आना बाकी था। आदरणीय सुनैना माताजी के पति जी ने हमें 5 मिनट के लिए आज्ञा दी उस अंतिम कक्ष में दर्शन करने की जिसमें स्वयं परम पूज्य गुरुदेव ने साधना की थी। हम सभी उस दिव्य कक्ष में पहुंचकर खुद को भूल चुके थे और थोड़ी देर के लिए सब कुछ स्थिर हो चुका था। हमारी मां के आंसू तो रोके रूक नहीं रहे थे। यहां से निकलने के बाद सुनैना माता जी और उनके पति जी से हमारी वार्तालाप हुई। उन्होंने वहां की स्थितियों से हमें अवगत कराया ,शुक्ला बाबाजी के बारे में बताया और मृत्युंजय तिवारी जी के व्यस्तता के बारे में बताया कि उनसे खुद उनकी भेंट कई दिनों तक नहीं हो पाती। परम पूज्य गुरुदेव और माता जी की अनुकंपा से और तिवारी जी और उनकी टीम की लगन और अथक परिश्रम के कारण अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल पूरे दुनिया के लिए मिसाल है। इन सारी जानकारियों के बाद हम मंदिर से विदा हुए। फिर हम AJEH (जो कि शक्तिपीठ से कुछ दूरी पर है) के लिए निकल गये। हम आदरणीय डॉक्टर अरुण त्रिखा सर को बहुत बहुत एवं बारंबार धन्यवाद करना चाहेंगे क्योंकि उन्हीं के मार्गदर्शन ,असीम प्रयास और लिंक की मदद से हमें वहां सभी जन से अच्छे से मुलाकात हो पाई। उन सभी के विचारधारा और सकारात्मक ऊर्जा से हम बहुत प्रभावित हुए हैं। हमें आदरणीय मृत्युंजय तिवारी जी से मुलाकात हुई और बहुत देर तक बातचीत भी हुई। उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने हमें बहुत सारी अनमोल बातें बताई जो कि निम्नलिखित हैं-
AJEH दो मुद्दों पर काम कर रही है एक अंधापन और दूसरी नारी उत्थान; गुरुजी ने नारी जागरण के लिए तीन सूत्र दिए हैं – नारी शिक्षित हो ,स्वावलंबी हो एवं विचारवान हो; अगर हम गुरुजी को सही में मानते हैं तो केवल पीले वस्त्र पहनने से काम नहीं चलेगा बल्कि घर एवं समाज की पीड़ा को दूर करने के लिए काम करना पड़ेगा। जरूरी नहीं कि हम शांतिकुंज या मस्तिचक रहकर ही यह करें इसलिए दिखावा से काम नहीं चलेगा; पूजनीय शुक्ला बाबा जी अपने कर्मों से हैं और हम अपना कर्म कर रहे हैं; AJEH का मुख्य लक्ष्य लोगों के विचारों को बदलना और सही दिशा देना है; वहां की एक छात्रा है शशि शर्मा जी जो अब अपने मेहनत और लगन के दम पर वहां की एचओडी बन गई हैं और विदेशों में जाकर भाषण भी दे चुकी हैं। वह बहुत ही विनम्र और तेजस्वी हैं। इस तरह वह और उनके जैसी वहां की बहुत सारी छात्राएं हम सबके लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं; आदि आदि। उनके इस मार्गदर्शन से हम कृतार्थ हो गए। शशि दीदी जी के मार्गदर्शन से फिर हमने वहां का भोजन प्रसाद ग्रहण किया। वहां का वातावरण बहुत ही अद्भुत है। हृदय में वहां की कभी ना मिटने वाली अनुभूतियों और स्मृतियों के साथ अंत में हमने वहां से विदा ली। सभी परिजनों को एक बार ज़रूर यहां आकर दर्शन करना चाहिए। यहां दिव्य शक्ति है जो साक्षात दिखाई पड़ती है। एक बार फिर से हम आदरणीय डॉक्टर सर ,विकास सर जो कि फोन से ही हमारा बहुत मार्ग दर्शन किए और शशि दीदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहेंगे।💐💐💐💐
जय गुरुदेव जय गायत्री मां जय विश्व वंदनीय माता जी जय महाकाल
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हर बार की तरह आज भी कामना करते हैं कि आज प्रातः आँख खोलते ही सूर्य की पहली किरण आपको ऊर्जा प्रदान करे और आपका आने वाला दिन सुखमय हो। धन्यवाद् जय गुरुदेव