2 मई 2021 का ज्ञानप्रसाद
आज के ज्ञान प्रसाद में हम आपको मसूरी इंटरनेशनल स्कूल के बारे में बता रहे हैं। इस स्कूल की उत्पति की कथा भी बिल्कुल वैसी ही है जैसी आपने अभी अभी अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल की पढ़ी। गुरुदेव की प्रेरणा और आशीर्वाद से उत्पन हुआ यह स्कूल देहरादून से 39 किलोमीटर दूर हिमालय की गोद में बिल्कुल ही दिव्य वातावरण में स्थित है। इंटरनेशनल स्तर का यह स्कूल “केवल बालिकाओं” का ही स्कूल है।
परमपूज्य गुरुदेव ने नारी सशक्तिकरण और बालिकाओं की शिक्षा के लिए जहां अपनी जन्मभूमि आंवलखेड़ा में कम लागत वाले संस्थानों – माता भगवती देवी कन्या कॉलेज , श्री दान कुंवरि इंटर कॉलेज , स्वाबलम्भ्न केंद्रों को जन्म दिया वहीं उच्च लागत वाले मसूरी इंटरनेशनल स्कूल को जन्म दिया। इस स्कूल की एक वर्ष की फीस भारतीयों के लिए पांच लाख रुपए वार्षिक है जबकि विदेशी विद्यार्थियों के लिए आठ लाख रूपए वार्षिक है। इसके इलावा और क्या कुछ चार्ज किया जाता है आप स्कूल की वेबसाइट से देख सकते हैं https://www.misindia.net/
देहरादून क्षेत्र में सम्पूर्णतया आवासीय ( Fully residential ) स्कूल के लिए इतनी फ़ीस होना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि इसी क्षेत्र में और स्कूल भी हैं जो इससे भी अधिक फीस वसूल कर रहे हैं। इन स्कूलों/कॉलेजों में अमिताभ बच्चन और राजीव गाँधी जैसे उच्च स्तरीय व्यक्तित्व शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। मसूरी इंटरनेशनल स्कूल के पूर्व छात्राओं ने सम्पूर्ण विश्व में अपना नाम और ख्याति अर्जित की है और यहाँ लगभग 27 देशों के नागरिक शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं।
इस स्कूल के बारे में और कुछ जानने से पूर्व आप उत्सुक हो रहे होंगें कि जब परमपूज्य गुरुदेव का समस्त जीवन ग्रामीण और निर्धन बच्चे बच्चियों के लिए समर्पित था तो इतने उच्च स्तरीय ,इतने महंगें स्कूल के जन्म के पीछे क्या रहस्य रहा होगा। तो सुनिए कैसे हुआ था जन्म।
बात 1983 की है जब केन्या ( अफ्रीका ) से प्रवासी भारतीय डॉक्टर हसमुख राय रावल शांतिकुंज में नवरात्री अनुष्ठान के लिए आए। अनुष्ठान समाप्ति के उपरांत रावल गुरुदेव के चरणस्पर्श के लिए गए। रावल जी के पास एक दिन था,परसों की फ्लाइट थी तो गुरुदेव ने कहा आप मसूरी घूम आइये ,वहां केम्पटी फॉल है और विश्व प्रसिद्ध स्कूल भी हैं। तो रावल जी ने सोचा हमारा व्यवसाय भी शिक्षा है तो वहां जाने का प्रोग्राम बना लिया। केम्पटी फॉल 5 -6 किलोमीटर दूर है ,उसे देखने के बाद वापस आ रहे थे तो एक बोर्ड देखा -land for sale । रावल जी व्यापारी हैं और उन्होंने सोचा देखते हैं भारत में ज़मीन का क्या भाव है।
रावल जी कहते हैं ” हमें तो कुछ भी पता नहीं ज़मीन का क्या भाव है ,कोई तोल मोल भी नहीं किया ,बस साइन किया और वापिस आ गए। वापिस आकर गुरुदेव से बात की तो गुरुदेव कहने लगे,
” बेटा यह ज़मीन तेरे लायक नहीं है ,तू इतनी ज़मीन खरीद कर क्या करेगा ,तेरा लंदन में भी घर है ,अफ्रीका में भी घर है क्या करेगा इतने घरों का। “
रावल जी कहते हैं ” हमने तो कोई भी आगे चर्चा नहीं की , न कुछ पूछा कि गुरुदेव आप ऐसा क्यों कह रहे हैं। गुरुदेव ने कह दिया तो कह दिया – no arguments । हमने तो यही सोचा कि कोई चमत्कार होने वाला है।”
गुरुदेव थोड़ी देर रुक कर गुरुदेव बोले, ” यह ज़मीन जो तुम खरीद कर आए हो ,यहाँ हिमालय में 1000 वर्ष पूर्व ऋषि सत्ताओं ने घोर तप किये थे और यह दिव्य भूमि है। यहाँ तेरा नाच डांस ,एंटरटेनमेंट वाला व्यापार न चल पायेगा।”
रावल जी ने पूछा ” तो गुरुदेव आप स्वयं ही बता दीजिये मैं क्या करूं इस ज़मीन का ? “
तो गुरुदेव ने कहा, ” तू यहाँ पर कन्या विद्यालय खोल। “
रावल जी कहते हैं , ” तो ठीक है गुरुदेव ,आपने कह दिया तो ऐसा ही होगा।”
इसके बाद रावल जी वापिस चले गए और विद्यालय का पूरा मास्टर प्लान बना कर लाए। अमेरिका के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट पॉल रोनो से मास्टर प्लान बनवाया जिसका पहाड़ों को काट कर बिल्डिंग बनाने का बहुत ही अनुभव था।
रावल जी और पॉल रोनो प्लान लेकर परमपूज्य गुरुदेव के पास पहुंचे। गुरुदेव प्लान को देख रहे थे और छोटी सी पेंसिल से प्लान के ऊपर निशान लगा कर काटे जा रहे थे। कह रहे थे इसको काट दो ,यह आवश्यक नहीं है इत्यादि। इस पोरशन को यहाँ ले आओ ,इसे उधर ले जाओ। पॉल रोनो यह सब देखे जा रहा था और हैरान भी था कि मेरे काम को ,विश्व विख्यात आर्किटेक्ट के काम को जिसे आज तक कोई चैलेंज नहीं कर सका पूज्यवर चैलेंज कर रहे हैं। उससे रहा न गया रावल जी से पूछने लगा
” यह ओल्ड मैन कौन है , इसकी qualification क्या है ?”
रावल जी ने कहा ,” यह ओल्ड मैन जो भी हो ,इन्होने जो कह दिया तो करना ही पड़ेगा ,इसमें कोई भी चर्चा नहीं हो सकती “
तो इस तरह उत्पति हुई मसूरी इंटरनेशनल स्कूल की जिसको आज लगभग चार दशक होने को हैं।
रावल जी कहते हैं , ” यह तो एक चमत्कार ही हुआ और सब परमपूज्य गुरुदेव ने ही किया। लेकिन एक बात हम आपको कहते हैं कि गुरुदेव ने कभी भी यह नहीं महसूस होने दिया कि यह वह स्वयं कर रहे हैं। अपनी शक्ति और तपश्चर्या का बोध उन्होंने कभी न होने दिया। हमारा मन कई बार डोल जाता कि गुरुदेव ने इतना बड़ा काम दे दिया ,कैसे होगा। तो तब हम गुरुदेव से प्रार्थना करते, गुरुदेव हमें सम्भाल लेना और हमारा काम एक दम,इंस्टेंट कॉफ़ी की तरह सुलझ जाता। कई बार घमंड भी आ जाता था कि मैं इतना बड़ा बिज़नेसमैन इतने लोगों को आर्डर देता हूँ तो गुरुदेव एक दम रोक देते और गुस्से में आकर बोलते
,
” तू क्या समझता है ,यह सारा कार्य तू खुद कर रहा है क्या ? ,मैंने 24 घंटे वहां खड़े होकर तेरे स्कूल की रखवाली की है ,तेरा एक भी बैग चोरी हुआ है क्या ? ,यहाँ 1500 मज़दूर दिन -रात काम करते थे ,स्कूल की boundry बनाने में ही 2 वर्ष लग जाते , 30-30 फुट ऊँचे तो तेरे स्कूल के छत थे ,इतना काम तू अकेले में कर सकता था क्या ? मैं 24 घंटे तेरे साथ खड़ा रहा और किसी को भी कोई नुकसान नहीं होने दिया और तू कहता है
सब मैंने खुद किया है। यह सब तेरे को याद नहीं हैं ,मैं याद दिलाता हूँ “
तो मित्रो यह एक कहानी है ,रावल जी की कहानी उन्ही की ज़ुबानी :
” रात आठ बजे का समय होगा, मैं अकेला अपने नौकर के साथ बैठा था , मेरा भारत में और कोई तो था नहीं , एक नौकर मेरी देखभाल करता था ,खाना वगैरह बना देता था। मेरी आंख लग गयी और मैं क्या देखा हूँ कि गुरुदेव मेरे सामने आये ,मैंने कहा गुरुदेव इतनी रात में आप क्यों आये, मैं गुरुदेव को समझ नहीं सका कि भगवान मेरे घर आए हैं। मैंने सोचा यह मेरे दोस्त हैं। मैंने कहा गुरुदेव आप मेरे को बताते मैं गाड़ी भेज देता। गुरुदेव ने कहा चुपचाप सुन , बैठ इधर। मैंने कहा ,गुरुदेव मेरे को तो चाय बनाना भी नहीं आता ,मैं तो एक बिगड़ा हुआ इंसान हूँ। “
गुरुदेव कहने लगे ” मैं चाय पीने थोड़े आया हूँ ?”
रावल जी ने कहा ” तो क्या करना है ,क्या आज्ञा है ?”
गुरुदेव ने कहा ” उठ ,चल राउंड लगा कर आते हैं “
रावल जी ने बोला,” गुरुदेव रात को कैसे जायेंगें ,शेर ,चीते ,जंगली जानवर होंगें , आप आराम से सो जाएँ ,सुबह जायेंगें। “
गुरुदेव ने कहा ” मेरे पास समय नहीं है ,चल अभी चल। “
मैं चल पड़ा ,नींद में था ,गुरुदेव पता नहीं क्या कुछ बता रहे थे , इधर यह बनाओ , इसको ऐसे कर लो, हॉस्पिटल ऊपर लेकर आ , इत्यादि ,इत्यादि
रावल जी ने कहा ,” आप जैसा कहेंगें वैसा ही करेंगें आप ने ही तो प्लान बनाया है। जंगल में पहाड़ के बीचो-बीच कोई रास्ता तो था नहीं ,मुझे साथ लेकर चलते रहे और पूरा राउंड लगाया। राउंड लगा कर आकर बैठ गए। मैंने कहा गुरुदेव रात बहुत हो गयी है ,आप इधर ही सो जाओ , मेरा नौकर है , ड्राइवर भी नहीं है , मैं नीचे सो जाऊंगा आप चारपाई पर सो जाओ। “
गुरुदेव कहते ,” कोई बात नहीं ” और इतने में मेरी आँख खुल गयी।
स्वप्न था ,मुझे कुछ भी याद नहीं। अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस गया तो मेरा इंजीनियर बोला -रावल साहिब इतनी रात को राउंड लेने की कोई आवश्यकता नहीं , यहाँ कोई चोरी नहीं हो सकती , उधर पहाड़ से टाइगर भी आ सकता था ।
रावल जी कहते हैं ,” तभी भी मुझे अनुभव नहीं हुआ कि क्या हो रहा है। साक्षात् भगवान ही हैं हमारे गुरुदेव ,इतने साधारण इतने सादा , इतना सब कुछ कर देते हैं लेकिन कभी भी नहीं कहते कि मैंने कुछ किया है। मैं कितने हो कमर्शियल लोगों के पास ,बाबा लोगों के पास गया हूँ वह सभी यही कहते हैं हमने किया है। “
तो मित्रो यह है गुरुदेव की शक्ति और अपने बच्चों के प्रति स्नेह। अभी अभी आपने देखा/ पढ़ा ” माता जी ने शुक्ला बाबा को बोला -जा आंख बना ” तो अखंड ज्योति नेत्र हस्पताल जैसा विशाल तंत्र बन कर खड़ा हो गया। अब परमपूज्य गुरुदेव ने कहा ” कन्या पाठशाला बना ,तो विश्व स्तर का स्कूल बन कर खड़ा हो गया “
इस लेख के साथ में दिए गए चित्रों से ही आप इस स्कूल की विशालता और दिव्यता का अनुमान लगा सकते हैं। इस दिव्य वातावरण में पढ़ कर किस प्रकार की संस्कारित बच्चियां पैदा हो रही हैं उनका अनुमान हम आपको आने वाली वीडियो में लगाने का प्रयास करेंगें। अगले लेख में इसी स्कूल के कुछ संस्कारी बच्चियों और वातावरण के बारे में बताने का प्रयास करेंगें।
सूर्य भगवान की प्रथम किरण आपके आज के दिन में नया सवेरा ,नई ऊर्जा और नई उमंग लेकर आए। जय गुरुदेव परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी के श्री चरणों में समर्पित
