4 मार्च 2021
सबसे पहले तो उन सभी सहकर्मियों का ह्रदय से आभार जिन्होंने हमारे ” सुझाव ” का सम्मान किया और जुट गए सम्पर्क साधना में। कानपुर से लेकर नोइडा तक और दिल्ली से लेकर बिहार तक सभी ने इस पुरषार्थ को, सुझाव को न केवल समर्थन दिया है बल्कि अपना योगदान भी डाला है। यही है उस युगपुरष की अपार दिव्य शक्ति। बहुत से सहकर्मियों ने हमें व्यक्तिगत कमेंट भेज कर हमारे कार्य को सराहा है लेकिन हम हर बार की तरह आज फिर कहेंगें कि यह उस दिव्य शक्ति का ही मार्गदर्शन है जो हमारे अन्तःकरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार करता है ,वही इस ऑनलाइन ज्ञानरथ के सारथि और पथप्रदर्शक हैं। हमारी अपनी बड़ाई करने की कोई भी अभिलाषा नहीं है ,केवल गुरुदेव के चरणों में निष्काम समर्पण ही हमारा ध्येय है। सहकर्मियों ने अनुभवी परिजनों की अनुभूतिआँ और उनसे मार्गदर्शन की भी भावना व्यक्त की। बहुत से अनुभव आये भी हैं , और भी आ भी रहे हैं। कुछ समय बाद भेजने वालों की स्वीकृति के बाद प्रकाशित भी करेंगें। आप अपने अनुभव ,अनुभूतिआँ , interesting संस्मरण भेजते रहें और इस पुण्य कार्य में भागीदार बनते रहें।
जब बात आयी है मार्गदर्शन और अनुभूतियों की तो गुरुदेव ने स्वयं ही गाइड कर दिया। कहने लगे
“बेटा, फरवरी 2021 का युग प्रवाह देख ले और मोहन लाल गौतम जी की कथा अपने सहकर्मियों के समक्ष प्रस्तुत कर दे। इससे बड़ी अनुभूति और प्रेरणा आज कोई भी नहीं हो सकती “झट से You Tube में सर्च किया और युग प्रवाह का फरवरी अंक एक दिन पूर्व ही अपलोड किया गया था। लगभग 97 मिंट का यह अंक अपने आप में एक अद्भुत अंक है लेकिन हमने इस में से मोहन लाल जी का इंटरव्यू जो 42 मिंट का था निकाला और आपके समक्ष लेकर आ गए। इस वीडियो में आप मोहन लाल जी को गोपाल जी के प्रश्नों के उत्तर देते हुए देखेंगें। यह सारी प्रक्रिया करने से पहले हमने इस 97 मिंट की वीडियो को देखा ,और केवल देखा ही नहीं कॉपी पेंसिल लेकर नोट भी किया। ऐसा क्या है इस वीडियो में आप खुद ही देखेंगें। आज के युग में जहाँ आई आई टी ( IIT) और बड़े -बड़े संस्थानो से डिग्री प्राप्त करने के बाद भी विद्यार्थियों को निराशा का मुहं देखना पड़ रहा है वहीँ मोहन लाल जी जो कभी आठवीं कक्षा के बाद स्कूल भी नहीं गए और शांतिकुंज में कितनी ही मशीनों की रचना कर चुके हैं। यहां तक की autocad , corel , और CNC मशीनों का केवल ज्ञान ही नहीं डिज़ाइन भी कर चुके हैं। “आपके द्वार पहुंचा हरिद्वार” अभियान में बोतलों पर स्टीकर चिपकाने की आटोमेटिक मशीन उनका नवीनतम कार्य है। उन्होंने इस सब उपलब्धियों का श्रेय गुरुदेव के सूक्ष्म मार्गदर्शन , शांतिकुंज का दिव्य वातावरण और ऋषियों की अनुकम्पा को दिया है। जिन सहकर्मियों को पता नहीं है उनको हम बताना चाहेंगें कि जिस भूमि पर युगतीर्थ शांतिकुंज स्थापित है वह सप्तऋषियों की तपोभूमि है और महाकल का घोंसला है।
मोहन लाल और गोपाल जी :
मोहन लाल जी को पहली बार हम नवंबर 2019 में अपने शांतिकुंज प्रवास के दौरान स्वाभलंबन केंद्र में मिले थे। गेट नंबर 5 लोपा मुद्रा भवन ,जहाँ हमारा निवास था यह केंद्र बिल्कुल पास में ही था। प्रतिदिन हम इस केंद्र के पास से गुज़रते और युवाओं को तरह तरह के कार्य करते देखते। एक दिन हमारी दृष्टि पड़ी, देखा कि यह लोग हवं कुंड पेंट कर रहे थे। एक दम मन में ख्याल आया कि क्यों न यहाँ से अपने मनमुताबिक साइज का हवन कुंड बनवाया जाये। क्योंकि हमें इतना छोटा बनाना था जो हमारे सूटकेस में आ जाता। हमारे कनाडा वापिस आने में केवल एक ही दिन बचा था। हमने मोहन लाल जी से बात की और उन्होंने कुछ घंटों में ही हमारी specification के अनुसार यह हवन कुंड तैयार करवा दिया। आप वीडियो देखिये और आपको पता चल जायेगा कि गुरुदेव ने कौन -कौन से हीरे कहाँ कहाँ से चुन चुन कर लाएं हैं। गोपाल जी देव संस्कृति यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं और अधिकतर आप उन्हें यूनिवर्सिटी के समारोहों में MC का कार्य करते देखते हैं I
आज के लिए बस इतना ही , जय गुरुदेव परमपूज्य गुरुदेव एवं वंदनीय माता जी के श्री चरणों में समर्पित