15 सितम्बर 2020 की प्रातः का ज्ञान प्रसाद

ऑनलाइन ज्ञानरथ के सहकर्मियों को हमारा नमन एवं आभार
15 सितम्बर 2020 की प्रातः का ज्ञान प्रसाद ऑनलाइन ज्ञानरथ के समर्पित सहकर्मियों के समक्ष
कल वाले लेख में भी लिखा था कि हमारे सहकर्मियों में शांतिकुंज की 50 वर्ष पुरानी फोटो देखने की जिज्ञासा तीव्र होती जा रही होगी लेकिन दिन प्रतिदिन फोटो आती ही जा रही हैं। विद्या जी , जसोदा जी, सुनीता जी और कमोदिनी जी ने कई फोटो भेजी हैं ,उनको देखने ,एडिट करने ,quality improve करने का प्रयास लगातार जारी है। जैसा कि कल वाले अपडेट में लिखा था इन सबको एक वीडियो का रूप देना अधिक बेहतर होगा। कुछ देर और प्रतीक्षा करने के उपरांत हम वीडियो का रुख करेंगें। लेकिन एक निवेदन अवश्य करना चाहेंगें कि केवल शांतिकुंज की पुरानी फोटो ही भेजें।
सहकर्मी अपने फ़ोन नंबर भी भेज रहे हैं ,हम add करने के उपरांत उनको स्वागत मैसेज भी भेज रहे हैं। आज प्रातः सुनीता जी के साथ लगभग 40 मिंट बात हुई। इस माँ -बेटी की जोड़ी को ज्ञानरथ का ह्रदय से आभार। दोनों ही गुरुदेव के प्रति अपना समर्पण अनवरत व्यक्त कर रहीं हैं। अपने सहकर्मियों के साथ सम्पर्क स्थापित करना और फिर उसे परिपक्व करना हमारा कर्तव्य और धर्म है। हम तो इंटरनेट युग में सब कुछ बड़ी ही सुविधा से कर लेते हैं ,ज़रा सोचिये गुरुदेव -माता जी कैसे एक- एक पत्र खोल कर ध्यान से पढ़कर उत्तर देते थे। हमने इस तथ्य का वर्णन भी हमारी उस वीडियो में किया है जब गुरुदेव मथुरा से हरिद्वार आए थे।
आज का लेख हम स्क्रीनशॉट के रूप में आप के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।
YouTube वाले पाठक तो इसको ज़ूम नहीं कर सकेंगें परन्तु व्हाट्सप्प वाले कर सकते हैं। YouTube वालों के लिए हमने maximum enlarge किया है। फ़ोन को अगर landscape ( यानि घुमा दें ) में देखें तो कोई दिक्कत नहीं होगी।
यह लेख आज प्रातः हमारे सहकर्मी योगेश कुमार जी ने व्हाट्सप्प पर शेयर किया। लेख को ध्यान से पढ़ने के उपरांत अखंड ज्योति दिसम्बर 2002 वाले अंक का अध्यन किया। उसमें से और कई लेखों के लिए प्रेरणा मिल गयी। आने वाले दिनों में आपके समक्ष वोह भी प्रस्तुत करेंगें।
योगेश जी पिछले वर्ष हमें अखंड ज्योति संस्थान मथुरा में मिले और चतुर्वेदी जी के साथ उस ऐतिहासिक बिल्डिंग की videos शूट करने में सहायक रहे। हमारे सहकर्मी इस चैनल के वीडियो सेक्शन में यह ” भूतों वाली बिल्डिंग ” जिसमें गुरुदेव ने सपरिवार कई वर्ष व्यतीत किये देख सकते हैं। घीआ मंडी स्थित अखंड ज्योति संस्थान नामक बिल्डिंग हम सब के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं होनी चाहिए।
जहाँ हम योगेश जी का ह्रदय से धन्यवाद् कर रहे हैं , सहकर्मियों से आशा करते हैं कि वोह भी अपना योगदान डालने के लिए प्रेरित होंगें। जब भी इस तरह का कोई लेख देखें हमें भेज दें और हम उसको मनन करके उसी contributor के नाम से ऑनलाइन ज्ञानरथ पर अपलोड कर देंगें।
जय गुरुदेव ,सभी को शुभ दिन कि मंगल कामना