वेदमाता,देवमाता,विश्वमाता माँ गायत्री से सम्बंधित साहित्य को समर्पित ज्ञानकोष

वंदनीय माता जी के विवाह के भिन्न भिन्न 3 वर्ष ?

हम तो हमेशा ही ज्ञानरथ के सहकर्मियों का आभार व्यक्त करते हैं ,उन सबके ,आप सबके पुरषार्थ ,सहयोग से ही यह ज्ञानरथ गतिशील हो रहा है। लेकिन आज हम राजन कुमार सिंह जी का धन्यवाद् करना चाहते हैं जिन्होंने अपना कमेंट इस प्रकार दिया :
” 🙏🙏🙏 बाबुजी लेकिन बाबुजी हमने तो महाशक्ति की लोकयात्रा में पढ़ा है कि परमपूज्य गुरूदेव और माताजी का विवाह दिवस “” फाल्गुन शुक्ल सप्तमी वि. स. 2001 यानि 18 फरवरी 1945″” को निश्चित हुआ था। यदि कोई भूल-चूक हो तो हमें माफ कीजियेगा। 🙏🙏🙏 “
इनके कमेंट के उपरांत हमने ” महाशक्ति की लोकयात्रा ” पुस्तक डाउनलोड की और उसका अध्यन प्रारम्भ किया। ब्रह्मवर्चस द्वारा लिखित 121 पृष्ठों की इस पुस्तक की भूमिका हमारे श्रेध्य डॉक्टर प्रणव पंड्या जी द्वारा लिखित है। इस पुस्तक में माता जी के विवाह की तिथि 18 फरवरी 1945 लिखी हुई है।
हमने अपने लेख में विवाह की तिथि 10 मार्च 1946 लिखी थी। इस तिथि का आधार ” चेतना की शिखर यात्रा 1 ” पुस्तक है। 408 पन्नों की यह पुस्तक ज्योतिर्मय और श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या जी द्वारा लिखित है। इस लेख के बारे में शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्ता आदरणीय राज कुमार वैष्णव जी ने पूछा था कि ” हमने यह लेख कहाँ से लिया है।”
विकिपीडिया जिसे आज के युग में हम सब ज्ञान का एक अद्भुत source मानते हैं , उसकी भी हमने रिसर्च की और वहां माता जी के विवाह के दो अलग -अलग वर्ष अंकित हैं- 1946 और 1943 ।
इन कमैंट्स और ऑनलाइन sources को देख कर हमारा असमंजस में पड़ना स्वाभाविक हो सकता था। परन्तु हम ज्ञानरथ के माध्यम से ,सहकर्मियों के सहयोग से गुरुदेव के बारे में ,उनके विचारों को विश्व में फैलाने का संकल्प ले चुके हैं। स्पष्ट और ठीक ज्ञान प्रस्तुत करना हमारा धर्म है। 1943 1945 और 1946 विवाह के तीन अलग -अलग वर्ष अंकित होने अवश्य ही मनन का विषय हैं। अभी कुछ दिन पूर्व ही हमने विकिपीडिया से पूज्यवर का महाप्रयाण वर्ष 1991 से 1990 ठीक किया है। चेतना की शिखर यात्रा में माता जी के बारे में पढ़ते हुए एक ही पृष्ठ पर ऊपर नीचे दो paragraph में सरस्वती देवी ( पूज्यवर की पहली जीवन संगिनी ) के दो बच्चे और फिर तीन बच्चे दर्शाये गए हैं। इस सारे कंटेंट का एक निष्कर्ष ये तो निकलता ही है कि गुरुदेव का साहित्य copyrighted न होने के कारण हर कोई अपनी तरह से interpret करके लिख सकता है जैसे हम भी कर रहे हैं। हो सकता है हमने भी कई त्रुटियां की होंगीं। परन्तु त्रुटि जब भी नोटिस हो जाए उसको ठीक करना हमारा धर्म होना चाहिए।
सहकर्मियों से एक बार फिर निवेदन है कि हमारे सभी लेख पूरी श्रद्धा और ध्यान से पढ़ें और इस तरह की त्रुटियों से हमें अवगत कराएं।
साथ वाली पिक्चर पर हमने सभी sources के screenshots अंकित किये हैं और यह लेख शांतिकुंज भी भेज रहे हैं
matajiजय गुरुदेव
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